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नई दिल्ली, 29 मार्च। मार्च माह के मौजूदा
मौसम में वाइरल (वायरल) बुखार के मामले
कुछ ज्यादा ही बढ़ जाते हैं। वातावरणीय
कारकों और शारीरिक प्रतिरक्षा तंत्र में
होने वाले आंतरिक बदलाव के कारण ऐसा होता
है। वाइरल फीवर का जोखिम बच्चों, बुजुर्गों
और जटिल रोगों से पीड़ित लोगों में
सर्वाधिक होता है।
वाइरल बुखार के मुख्य लक्षण सर्दी व कंपकपी
होना,तीव्र बदन दर्द और गले में खराश,
सिरदर्द और नाक बहना और आंखों में लालिमा
जैसा लक्षण प्रकट होना है। गौर हो कि
वाइरल फीवर विषाणु (वाइरस) के संक्रमण से
उत्पन्न होने वाला बुखार है। यह बुखार
सामान्य बुखार की तुलना में कहीं अधिक
दीर्घकालिक और पीड़ाकारक होता है। बदलते
मौसम में तापमान परिवर्तन के कारण विषाणुओं
की सक्रियता व संक्रामकता बढ़ जाती है।
वाइरल बुखार में विषाणुओं(वाइरस) के
संक्रमण से शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र
कमजोर पड़ जाता है। इस वजह से कई अन्य
संक्रमण या बीमारियां भी उभर सकती हैं।
इनमें न्यूमोनिया, मस्तिष्क ज्वर,
हेपेटाइटिस आदि शामिल हैं। तेज बुखार की
स्थिति में चिकित्सकीय सलाह के अनुसार
पैरासीटामॉल लें। अन्य तकलीफों के लिए भी
केवल डॉक्टरों की सलाह से लक्षणों के
अनुसार दवाएं लें। किसी भी वस्तु को खाने
से पहले साबुन से हाथ धोएं। साफ-सुथरा,
ताजा स्वास्थ्यकर भोजन ग्रहण करें।
अत्यधिक शारीरिक मेहनत से बचें और डॉक्टर
की सलाह से फ्लू से संबंधित टीका (वैक्सीन)
लगवाएं।
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