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लखनऊ, 27 मार्च। आजकल 30 से 40 वर्श के
युवाओं में भी गठिया रोग की षिकायतें आ रही
है। ऐसे में अगर इससे निजात पाने के लिए
30 से 40 वर्श के बीच अगर घुटना
प्रत्यारोपण जो व्यक्ति करा लेते हैं उन्हें
60 साल की अवस्था आने तक दुबारा
प्रत्यारोपण कराने की जरूतर पड़ती है।
इसलिए जरूरी है कि 60 वर्श के उम्र से पहले
घुटना प्रत्यारोपण नहीं कराना चाहिए। यह
जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा
विष्वविद्यालय के आर्थोपेडिक सर्जरी विभाग
के प्रो0 आषीश कुमार ने गुरूवार को आईआईएम
भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में दी।
डा. आषीश कुमार ने बताया कि अब मार्केट
में इससे निजात पाने के लिए इंजेक्षन आ गये
हैं। इंजेक्षन द्वारा इसे नियंत्रित किया
जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसको
नियंत्रित करने के लिए एक इंजेक्षन
मार्केट में आ गया है जिसको वर्श में एक
बार लगवाना पड़ता है। उन्होंने बताया कि
अगर युवावस्था में गठिया रोग की षिकायत हो
तो इंजेक्षन द्वारा नियंत्रित किया जाना
चाहिए और 60 साल की उम्र आने पर ही घुटने
का प्रत्यारोपण कराना चाहिए।
भारत में हर साल 50 लाख लोगों के होते हैं
हार्ट ब्लाकेज
पुश्पगिरी हार्ट इन्सटीट्यूट केरल के
निदेषक डा.पंकज कुमार श्रीवास्तव ने बताया
कि हार्ट ब्लाकेज की संभावनाएं तेजी से बढ़
रही हैं। 2015 तक साढ़े छः करोड़ लोगों में
हार्ट ब्लाकेज होने का खतरा है। ब्लाकेज
के कारण ब्लड सप्लाई प्रभावित होती है। इसी
कारण पी़िड़त को हार्ट अटैक हो जाता है।
डा. पंकज ने बताया कि हार्ट की बीमारी हर
उम्र के लोगों को हो सकती है। सामान्यतः
“ाहरों में 12 से 15 और ग्रामीण क्षेत्रों
में नौ प्रतिषत युवा भी हार्ट ब्लाकेज के
षिकार हो रहे हैं।
डा. श्रीवास्तव के अनुसार बदलती जीवनषैली,
डायबिटीज मोटापा, धूम्रपान करने और नियमित
व्यायाम नहीं करने की वजह से यह समस्यायें
बढ़ रही है। धूम्रपान न करने, नियमित रूप
से व्यायाम करने, संतुलित आहार लेने, तनाव
मुक्त रहने और डायाबिटीज व ब्लड प्रेशर पर
नियंत्रण में रखने से हार्ट अटैक से बचा
जा सकता है।
उन्होंने कहा कि छाती में दर्द हो, छाती
से बाजू की ओर दर्द जा रही हो, बहुत पसीना
आ रहा हो और सांस लेने में परेशानी हो तो
हार्ट अटैक की संभावना होती है, तुरंत
डाक्टर से जांच करवानी चाहिए। चिकित्सकों
के मुताबिक यह समस्या सामान्यतया 60 साल
की उर्म के बाद होनी चाहिए लेकिन अब 40 की
उर्म में भी यह समस्या आने लगी है।
डा. पंकज ने बताया कि बायपास सर्जरी -एंजियोप्लास्टी
के बावजूद हार्ट में ब्लाकेज की संभावना
बनी रहती है. इसे देखते हुए जांच व इलाज
के लिए नई तकनीकें ( कार्नरी सीटी स्कैन
और फा-फॉर टेस्ट ) उपयोग में लाई जा रही
हैं. इसमें व्यक्ति को हार्ट अटैक की
संभावना और इससे ट्रीटमेंट का स्तर ज्ञात
किया जा सकता है। हार्ट में ब्लाकेज की
जांच में नई तकनीक इन्ट्रा वायसोलर अल्ट्रा
साउंड उपयोगी साबित हो रही है। |