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पर्दे के पीछे शुरु हो चुका है राजनीतिक
सौदेबाजी का खेल |
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कांग्रेस की मजबूरियों को भुनाने में जुटी
सपा, निर्णायक भूमिका में होंगे छोटे दल |
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-मनीष
श्रीवास्तव- |
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Tags: U.P. Election |
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Publised on :
04 March 2012, Time: 12:09
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लखनऊ,
04 मार्च। (उ.प्र.समाचार सेवा)।Lucknow,
04 March 2012,
(U.P.S.S).
उत्तर प्रदेश के चुनावों में
आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर समाप्त हो चुका
है, जैसी कि सम्भावनाएं व्यक्त की जा रही
है कि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता
नहीं दिख रहा है, ऐसे में अब सरकार बनाने
को लेकर राजनीतिक सौदेबाजी का खेल शुरु हो
गया है। इसे दलों की मजबूरी कहें या सत्ता
से दूर रहने की व्याकुलता जो अभी तक अपनी
सभाओं में कहा करते थे कि बहुमत न मिलने
की दशा में किसी को समर्थन नहीं देगें,
लेकिन पर्दे के पीछे की हकीकत कुछ और ही
है। प्रदेश में चारों प्रमुख पार्टियों के
रणनीतिकार चुनाव के बाद की सम्भावनाओं को
लेकर आपस में पहले से ही तालमेल बिठाए हुए
हैं।
चुनाव आयोग और न्यायालय के कड़े रुख के
कारण अभी तक किसी ने भी सरकार बनाने को
लेकर अपनी रिपोर्ट नहीं दी है और इस बार
के चुनाव की परिस्थितियां भी ऐसी हैं कि
कोई भी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं
है। लेकिन जैसा कि कयास लगाया जा रहा है
कि बसपा और सपा के बीच सीटों का अन्तर
ज्यादा का नहीं होगा और दोनो ही नम्बर एक
की लड़ाई में हैं तथा भाजपा और कांग्रेस
का संघर्ष तीसरे का है। इन परिस्थितियों
में सपा और कांग्रेस गठबंधन की प्रबल
सम्भावना है। ऐसा करना दोनों दलों की
राजनीतिक मजबूरियां भी हैं। इसलिए
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और सपा के
प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव दोनो ही एक
दूसरे के बराबर संपर्क में हैं। सपा की
मजबूरी है प्रदेश में उनकी सबसे बड़ी
दुश्मन बसपा को किसी तरह से सत्ता से दूर
किया जाए, और कांग्रेस की मजबूरी हैं ममता
बैनर्जी जिन्होंने उनकी नाक में दम कर रखा
है। तुनक मिजाज ममता बैनर्जी से छुटकारा
पाने के लिए कांग्रेस सपा को अपना समर्थन
देने में पीछे नहीं हटेगी।
इस गठबंधन को बल प्रदान किया मुलायम सिंह
यादव ने जो खुद चलकर कांग्रेस विधान मंडल
दल के नेता प्रमोद तिवारी के यहां तक गए
तथा गठबंधन का प्रस्ताव दिया जिसके
मुताबिक यदि प्रदेश में दोनों दल मिलकर
सरकार बनाते हैं तो मुख्यमंत्री कांग्रेस
का और उपमुख्यमंत्री अखिलेश यादव होंगे
जबकि बाहर से समर्थन दे रही सपा केंद्र की
यूपीए सरकार में शामिल होगी और मुलायम
सिंह को सरकार में मंत्री पद दिया जाए। ऐसा
करने से कांग्रेस दोहरे फायदे में होगी एक
तो ममता से छुटकारा मिल जाएगा और प्रदेश
की सत्ता को 22 साल बाद भोगने का सुख भी
मिलेगा।
इसलिए कांग्रेस के रणनीतिकार इस डैमेज से
उबरने के लिए सपा से हाथ मिलाना चाहते हैं
अंदरखाने की बात यह है कि अखिलेश के करीबी
उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ रहे राहुल के
करीबी दो युवा प्रत्याशिय़ों से लगातार
संपर्क में हैं जो समर्थन के लिए माहौल भी
बना रहे हैं। सपा ने एक और प्रस्ताव
कांग्रेस के पास भेजा गया है जिसमें
अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही
गई है, इसके एवज में 2014 का लोकसभा चुनाव
मिलकर चुनाव लड़ेने और ऐसे में सपा समझौते
के तहत ज्यादा सीटें कांग्रेस को दे देगी
साथ ही 2014 में कांग्रेस की सरकार बनने
पर मुलायम को बड़ी जिम्मेदारी दी जाए।
कांग्रेस रणनीतिकार फिलहाल तो राहुल को यह
समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि मौजूदा
हालात में सपा के साथ सरकार बनाना
कांग्रेस के लिए राजनीतिक तौर पर फायदेमंद
रहेगा जो होना संजीवनी का काम करेगा और
इससे संगठन मजबूत होगा
उधर प्रदेश के भाजपा में सत्ता की चाहत
हिलोरे मार रही हैं। लेकिन भाजपा हाईकमान
फिलहाल किसी गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं
लेकिन प्रदेश के कुछ भाजपा नेता अपने सबसे
बड़े दुश्मन सपा को सत्ता में आने से रोकने
के लिए बसपा को समर्थन देना राजनीतिक रूप
से सही कदम मान रहे हैं। भाजपा के
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र के
सिपहसालार मायावती के करीबियों से लगातार
संपर्क में हैं प्रदेश के भाजपाई भी गडकरी
को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि मायावती
को समर्थन देने के बदले 2014 के लोकसभा
चुनाव के लिए सौदेबाजी की जा सकती है। सूबे
के भाजपाई नेताओं की योजना के मुताबित
2014 को लोकसभा का चुनाव बसपा के साथ मिल
कर लड़ा जाए अगर ऐसा होता है तो उत्तर
प्रदेश से पार्टी को कहीं अधिक सीटें
मिलेंगी।
ऐसी परिस्थिति में यदि सपा या बसपा बहुमत
के जादुई आंकड़े से थोडा ही दूर रहती है
तो पीस पार्टी जैसे छोटे दलों और निर्दलियों
की मदद कैसे ली जाए दोनों दलों के
रणनीतिकार इस पर भी काम कर रहे हैं मुलायम
के एक करीबी नेता लगातार चुनाव जीत सकने
वाले निर्दलियों और छोटे दलों के संपर्क
में हैं खैर अब चुनाव नतीजों में ज्यादा
दिन नहीं बचे हैं देखना यह है कि जनता किसी
को बहुमत देती है या फिर सियासी सौदेबाजी
के दम पर दल तोड़-तोड़ कर ही सरकार बनाएंगे
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source: U.P.Samachar Sewa |
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