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-हारे उम्मीदवारों
ने कई मंत्रियों की है लिखित शिकायत
-सपा संगठन और सरकार में नजर आएंगे कुछ और
नए चेहरे
लखनऊ,। प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी
पार्टी की सरकार को लोकसभा चुनाव में मिली
करारी हार और प्रदेश में लगातार बिगड़ती
कानून-व्यवस्था से फ जीहत झेल रहे मु
यमंत्री अखिलेश यादव चिंतित हैं। बीते 23
दिनों से डैमेज कंट्रोल में जुटे अखिलेश
ने संगठन से लेकर आला अफ सरों के बाद कुछ
मंत्रियों पर पर गाज गिराने की तैयारी कर
रहे है। यह खबर फैलने के बाद मंत्रियों की
धड़कनें बढ़ गई हैं। सत्ता के गलियारों से
जो सूचनाएं निकली हैं। उसके अनुसार इसी
माह लगभग एक दर्जन मंत्रियों को हटाकर कुछ
नए लोगों को लाया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार छह से ज्यादा वरिष्ठ
मंत्रियों ने स्वयं ही सपा मुखिया मुलायम
सिंह यादव से मिलकर संगठन में काम करने की
इच्छा जताई है। गौरतलब है कि प्रदेश
अध्यक्ष की हैसियत से अखिलेश ने सबसे पहले
राज्य कार्यकारणी भंग की उसके बाद
मुख्यमंत्री की हैसियत से तीन दर्जन
राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त ओहदेदारों
की लाल बत्ती छीन ली। वहीं रविवार को जीते
हुए लोकसभा क्षेत्रों और रामपुर के
जिलाध्यक्ष को छोड़कर सभी को हटा दिया गया।
सोमवार को दिनभर सपा मुख्यालय पर हटाए गए
अधिकांश जिलाध्यक्ष जुट रहे लेकिन
मुख्यमंत्री किसी से नहीं मिले। अंदर से
सूचना आई कि पूरी ओवरहालिंग के बाद ही
मुख्यमंत्री मिलेंगे। इस बीच खबर यह भी आई
कि तीन दर्जन से ज्यादा मंत्रियों के
खिलाफ लिखित शिकायत आई है जिसमें शिवपाल
यादव, आजम खां, दुर्गा प्रसाद यादव, विनोद
कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह कैलाश चैरसिया
अभिषेक मिश्रा व कुछ अन्य का नाम नहीं है।
सूत्रों ने तो यहां तक दावा किया कि 19
जून से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र से पहले
ही इन मंत्रियों को हटाया जाना है। लेकिन
नेताजी अभी इस पक्ष में नहीं हैं कि सदन
की कार्रवाई के दौरान विपक्ष में यह संदेश
जाए कि सरकार हताश है। सपा मामलों के
जानकारों की माने तो अब सपा में नया युग
शुरू हो रहा है और जल्द ही सरकार और संगठन
में नए चेहरे नजर आएंगे।
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पुलिस
कार्रवाई में नेताओं की दखलअंदाजी
बर्दाश्त नहीं- अखिलेश
लखनऊ,। उत्तर प्रदेश में अधिकारियों के
कामकाज का मूल्यांकन अब अपराधियों के
खिलाफ की गई कार्रवाई के आधार पर किया
जाएगा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यहां
विकास एवं समीक्षा बैठक में अधिकारियों को
चेताया कि कानून व्यवस्था के मुद्दे पर
कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अफसर अपना
काम पूरी निष्ठा के साथ करें और बेइमानी
से बचें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपराधी
सिर्फ अपराधी होता है और उसके खिलाफ सख्त
कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस के काम में
नेताओं की दखल अंदाजी बर्दाश्त नहीं की
जाएगी। बदायूं गैंगरेप और दादरी में भाजपा
नेता की हत्या मामले में लगातार किरकिरी
के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश ने मंगलवार को
सूबे की कानून-व्यवस्था के लिए विधानसभा
के तिलक हाल में समीक्षा बैठक की।
इसमें यूपी के 75 जिलों के डीएम, एसपी,
एसएसपी, डीआईजी, आईजी और कमिश्नर मौजूद
थे। इस दौरान सीएम ने सख्त निर्देश देते
हुए अधिकारियों की फटकार लगाई कि अब दोबारा
बदायूं जैसी घटना दोहराई न जाए।
कानून-व्यवस्था और विकास ही प्राथमिकता रहे।
मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था पर कहा कि
अगर पुलिस वाले टेम्पों से वसूली में
लिप्त रहेंगे तो पुलिसिंग कब करेंगे।
मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बैठक से
संवाददाताओं से बातचीत में बताया कि
मुख्यमंत्री ने बैठक में मुख्य रूप से
कानून-व्यवस्था पर बात की है और कहा कि
जिलों में प्रशासन और पुलिस से जिस तरह के
काम की अपेक्षा है, वह नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री
के सामने अपने विचार रखे जिन्हें उन्होंने
ध्यान से सुना और कहा मुख्यमंत्री ने कहा
कि सूबे की कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाना
हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। अब किसी की
भी लापरवाही जरा भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अब किसी भी सूचना पर अगर पुलिस मौके पर नहीं
पहुंची तो फिर कार्रवाई जरूर होगी। अब
अपराधियों को सिर्फ और सिर्फ अपराधी ही
समझा जाए। उन्होंने कहा पुलिस को अब बड़े
से बड़े अपराधी पर हाथ डालना ही होगा। अब
अपराधी की जगह जेल में होगी। पुलिस को भी
सख्त होना होगा। उन्होंने कहा कि अपेक्षा
है कि अब मौके पर कार्रवाई होगी।
आलोक रंजन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा
कि मैं अपने दिल का दर्द बयां कर रहा हूं,
आप लोग यह समझ जाएं कि पुलिस की कार्यशैली
कितनी ढीली है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
ने कहा कि सरकार अब हर व्यक्ति को उसके
पास ही न्याय देने के लिए प्रयास करेगी।
सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती जिलों के
हालात हैं जहां समय रहते कार्रवाई न होने
से बहुधा मामले तूल पकड़ते हैं। इसकी आंच
राजधानी में सरकार की हनक और इकबाल को
झुलसा जाती है। तहसील, ब्लाक और जिला स्तर
पर लोगों को न्याय नहीं मिलने से पीड़ित
राज्य मुख्यालय का रुख करते हैं। बैठक में
प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन के अलावा
विभागों के प्रमुख सचिव सभी मंडलायुक्त,
पुलिस महानिरीक्षक, जिलाधिकारी उप पुलिस
महानिरीक्षक और जिला पुलिस प्रमुखों ने
भाग लिया।
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हर माह
के तृतीय बुधवार को होगा किसान दिवस
लखनऊ,। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक
रंजन ने सभी मण्डलायुक्तों एवं
जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि
प्रत्येक माह के तृतीय बुधवार को किसान
दिवस जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता
में सक्रियता से आयोजित कर किसानों की
समस्याओं का निराकरण स्थानीय स्तर पर
सुनिश्चित कराए। उन्होंने कहा कि किसान
बैठक में कृषि क्षेत्र से जुडे प्रत्येक
विभाग से संबंधित अधिकारियों तथा किसान
प्रतिनिधियों को भी अवश्य आमंत्रित किया
जाए। उन्होंने कहा कि अपने-अपने गाॅंवों
की समस्याओं को बैठक में रखने के लिए
प्रगतिशील किसानों को भी आमंत्रित किया
जाय। ताकि वे समस्याओं का समाधान तत्काल
हो जाने के उपरान्त उत्पादन एवं उत्पादकता
में वृद्धि कर सकें। उन्होंने कहा कि
मण्डलायुक्तों से लेकर परगना अधिकारियों
को फील्ड में जा कर विकास कार्यो का
निरीक्षण करने के साथ-साथ आम नागरिकों की
समस्याओं का स्थानीय स्तर पर निराकरण कराना
होगा। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी आम
नागरिकों से अधिक से अधिक मिल कर उनकी
समस्याओं से अवगत ही न हो बल्कि निराकरण
प्राथमिकता से सुनिश्चित कराए।
मुख्य सचिव आज मण्डलायुक्तों एवं
जिलाधिकारियों को निर्देश दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारी नीचे स्तर
के अधिकारियों की आख्या पर संतुष्ट न हो
कर वास्तविक जानकारी प्राप्त कर निर्णय
लें। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से राजस्व
अधिकारियों को लेखपाल की रिपोर्ट को ही
अन्तिम रिपोर्ट मान कर निर्णय नहीं लेना
चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की
मंशा आम नागरिकों को न्याय दिलाना है।
इसलिए न्याय दिलाने में किसी स्तर पर
कोताही न बरती जाय। उन्होंने कहा कि भूमि
सेना योजना की मानीटरिंग फील्ड स्तर पर
सुनिश्चित कराकर किसानों को लाभान्वित
कराया जाय। उन्होंने कहा कि बुन्देल खण्ड
में खरीफ फसल की बुआई बढ़ाने के लिए जिला
स्तर पर योजना बनाकर प्रत्येक सप्ताह
अनुश्रवण सुनिश्चित किया जाय। ताकि बुआई
का औसत बुन्देल खण्ड में बढ़ सके। श्री
रंजन ने नगर विकास विभाग को निर्देश दिया
है कि पानी की सभी टंकियों को एक सप्ताह
के अन्दर सफाई करवाकर उनसे स्वच्छ जल की
आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए। उन्होंने कहा
कि पाइप्ड वाटर सप्लाई के दौरान बहुत सी
जगहों पर वाटर-लीकेज होने से बहुमूल्य
पेयजल बर्बाद होता है जिसे तत्काल रोकने
के उपाय किये जाय और सुनिश्चित किया जाय
कि कहीं भी पाइप में लीकेज न हो। मुख्य
सचिव ने नगर विकास विभाग को निर्देश दिए
है कि जहाॅं पर पानी की कमी हो वहाॅ पर
टैंकर से स्वच्छ जल की आपूर्ति कराई जाय।
उन्होंने नगर आयुक्तों और अधिशासी
अधिकारियों को कड़ा निर्देश दिया है कि वे
अपने क्षेत्र का सघन दौरा करके जलापूर्ति
व्यवस्था का निरीक्षण करें और एक कंट्रोल
रूम की स्थापना करें जहाॅं पर लोग पानी की
आपूर्ति की कमी की शिकायत दर्ज करा सकें।
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बेरोजगारी
भत्ता समय पर मिले-श्रम मंत्री
लखनऊ,ब्यूरो। बेरोजगारी भत्ते की राशि समय
पर बेरोजगारों के खाते में अवश्य पहुंच
जानी चाहिए, इसमें किसी तरह की देरी
बर्दाश्त नहीं की जायेगी। यह निर्देश
प्रदेश के श्रम एवं सेवायोजन मंत्री शाहिद
मंजूर ने दिए हैं।
उन्होंने जानकारी दी है कि इस योजना में
वर्ष 2014-15 के लिये 1600 करोड़ का
प्राविधान किया गया है। योजनान्तर्गत
अप्रैल 2014 माह में 11003.62 लाख का व्यय
किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि आगामी
तिमाही का भत्ता लाभार्थियों के खातों में
समय पर स्थानान्तरित करने के निर्देश दे
दिये गये हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा
बेरोजगारी भत्ता योजनान्तर्गत वित्तीय
वर्ष 2013-14 में कुल 1261524 बेरोजगारों
को बेरोजगारी भत्ते के रूप में 138623
करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
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टैरिफ
फिक्सिंग को लेकर राजनाथ सिंह से मिलेगा
उपभोक्ता परिषद
लखनऊ,। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत
उपभोक्ता परिषद ने उ.प्र. विद्युत नियामक
आयोग द्वारा वर्ष 2013-14 में हुए टैरिफ
फिक्सिंग की जांच पूर्व लोकायुक्त एस.सी
वर्मा से कराने के फैसले की सराहना की है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार
वर्मा ने कहा कि टैरिफ फिक्सिंग के मामले
पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ
सिंह से भी मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा
गया था, जिस पर उनके द्वारा उपभोक्ता
परिषद के ज्ञापन को उस समय के ऊर्जा मंत्री
को भेजते हुए उ.प्र. में टैरिफ फिक्सिंग
को आधार मानकर विद्युत अधिनियम, 2003 में
संशोधन करने व दोषियों को सजा दिलाने के
लिए कानून में बदलाव के लिए भेजा गया था।
वर्मा ने कहा कि अब जब राजनाथ सिंह खुद
देश के गृह मंत्री हैं तो उनसे उपभोक्ता
परिषद जल्द ही मुलाकात कर उन्हें पूरा
मामला पुनः सौंपेगा और टैरिफ फिक्सिंग पर
दोषियों को कठोर कार्यवाही कराने के लिए
कानून में बदलाव की मांग करेगा।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि पावर
कार्पोरेशन द्वारा टैरिफ फिक्सिंग कराकर
उ.प्र. विद्युत नियामक आयोग से बिजली दर
31 मई, 2013 को घोषित करायी गयी थी, जिसमें
घरेलू, ग्रामीण व कृषि क्षेत्र के विद्युत
उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 35 से 40
प्रतिषत की वृद्धि की गयी थी। आज उसी का
नतीजा है कि उपभोक्ता बढ़ी बिजली दर का
भुगतान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस
समय उपभोक्ता परिषद द्वारा लगभग 4 महीने
आन्दोलन चलाया गया था। सभी राजनैतिक दलों
के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर टैरिफ
फिक्सिंग की जांच कराने की मांग की गयी
थी, लेकिन उस समय सरकार भी चुपचाप रही और
मामला दब गया। उन्होंने कहा कि इसी टैरिफ
फिक्सिंग के आधार पर प्रदेश के लगभग 1
करोड़ 45 लाख उपभोक्ताओं पर बोझ डाला गया।
इसलिए उन्हें न्याय दिलाने के लिए राज्य
सरकार को तुरन्त आगे आना चाहिए।
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प्रदेश
में केन्द्रीय विद्यालयों की भांति माडल
स्कूल खोले जायेंगे
लखनऊ,े। प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंत्री
इकबाल महमूद ने बताया कि प्रदेश के पिछड़े
हुए विकास खण्डों में केन्द्रीय विद्यालयों
के पैटर्न पर नवीन माॅडल स्कूलों की
स्थापना की जायेगी। 12वीं पंचवर्षीय योजना
में केन्द्रांश एवं राज्यांश 75ः25
प्रतिशत है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित
इस योजना की गाइडलाईन्स के अनुसार है,
माडल स्कूल की स्थापना केन्द्रीय विद्यालय
के पैटर्न पर की जायेगी। इन विद्यालयों
में आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर, सामग्री,
उपकरण तथा सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी।
विज्ञान, गणित तथा अंग्रेजी शिक्षण के
अतिरिक्त कला, संगीत एवं साफ्ट-स्किल्स तथा
व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास पर बल दिया
जायेगा। कम्प्यूटर सहायतित शिक्षा भी दी
जायेगी।
माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि इन
विद्यालयों के निर्माण पर अनावर्तक व्यय
प्रति विद्यालय रू0 3.02 करोड़ है तथा
आवर्तक व्यय रू 0.75 करोड़ है। माडल स्कूल
योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा वर्ष
2010-11 में स्वीकृत 148 माडल स्कूलों के
निर्माण कार्य हेतु शत-प्रतिशत धनराशि
प्राप्त हो चुकी है, जिसका निर्माण कार्य
प्रगति पर है इन विद्यालयों में से 42
विद्यालय फिनिशिंग स्तर पर, 42 विद्यालय
70 प्रतिशत पर, 54 विद्यालय 40 प्रतिशत पर
तथा 09 विद्यालय 20 प्रतिशत का निर्माण
कार्य पूरा है। वर्ष 2012-13 में भारत
सरकार द्वारा 45 माॅडल स्कूलों की स्वीकृति
प्रदान की गई है। इन नवीन विद्यालयों के
निर्माण हेतु प्राप्त धनराशि रू0 150.75
लाख प्राप्ति विद्यालय की दर से शिक्षा
विभाग के जिला परियोजना कार्यालयों को
उपलब्ध करा दी गई है।
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यूपी में
जुलाई से महंगा हो जाएगा रोडवेज का सफर
दो पैसे किराया बढ़ाने का भी प्रस्ताव पास
बेड़े में शामिल होंगी 15 सौ नई बसें
लखनऊ,। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन
निगम के निदेशक मंडल की 199 वीं बैठक
रोडवेज मुख्यालय (टेहरी कोठी) में आयोजित
हुई। बैठक में कई अहम फैसले लिये गये,
जिसमें रोडवेज के बेड़े में जहां 15 सौ नई
बसें शामिल होंगी, वहीं मुख्य प्रधान
प्रबंधक के नीचे के अफसरों को वाहन भत्ता
व पेट्रोल पर रोक लगा दी गयी है। साथ ही
निदेशक मंडल ने रोडवेज में दो पैसा किमी
यात्री की दर से किराया बढ़ाने का भी
निर्णय लिया गया गया। रोडवेज के जनसम्पर्क
अधिकारी अनघ मिश्र ने बताया कि निदेशक
मंडल की बैठक की अध्यक्षता अध्यक्ष कुमार
अरविन्द देव सिंह ने की,जबकि निगम के
प्रबंध निदेशक मुकेश कुमार मेश्राम, मुख्य
प्रधान प्रबंधक (प्रशासन) राजेन्द्र सिंह,
(आपरेशन) आलोक सक्सेना, (कार्मिक)
सत्यनारायण समेत बोर्ड के अन्य सदस्य
शामिल थे।
उन्होंने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया
गया है कि छह साल की उम्र पूरी कर चुकीं
कुछ बसों को ग्रामीण अंचलों में चलाया
जाएगा, वहीं ज्यादातर बसों को नीलाम किया
जाएगा। उन्होंने बताया कि परिवहन निगम के
बेड़े में 15 सौ नई बसों का चेसिस खरीदने
का निर्णय हुआ है। श्री मिश्र ने बताया कि
यात्री सुविधा मद में सालाना 12 करोड़ की
मिलने वाली धनराशि में 70 फीसद बस स्टेशनों
पर आरओ वाटर प्लांट, आरामदायक कुर्सियों,
स्टेशनों के उच्चीकृत व अन्य यात्री
सुविधाओं पर खर्च किया जाएगा, वहीं तीस
फीसद धनराशि भूमि खरीदने व बस स्टेशनों के
नवीनीकरण पर व्यय किया जाएगा। उन्होंने
बताया कि रोडवेज मुख्यालय में तैनात मुख्य
प्रधान प्रबंधक स्तर के नीचे अफसरों को अब
वाहन भत्ता पांच हजार रुपये व 120 लीटर
पेट्रोल नहीं मिलेगा।
उन्होंने बताया कि मुख्यालय में करीब 25
अफसरों को इसका लाभ मिलता था। इस पर रोक
लगने के बाद सालाना 36 लाख रुपये की बचत
होगी। उन्होंने बताया कि बैठक में दो
पैसेध् किमी यात्री किराया बढ़ाने का भी
निर्णय लिया गया है। साथ ही लगेज किराये
में भी 2.5 फीसद की वृद्धि की गयी है। बढ़ा
किराया लागू कराने का प्रस्ताव राज्य
परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) को भेजा जाएगा
और जुलाई में बढ़ा किराया लागू होगा। इसके
बाद रोडवेज का किराया 79 पैसे से बढ़कर 81
पैसें किमी,प्रति यात्री हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि रोडवेज में संविदा चालक-
परिचालकों की भती अब मैन पावर सप्लाई
एजेंसी के जरिये ही होगा।
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मुख्यमंत्री की बैठक को नाकाफी बताया
विपक्ष ने
-नीति व नियत ठीक किए बिना कानून व्यवस्था
नहीं सुधरेगी-भाजपा
-बैठकों से नहीं दृढइच्छा शक्ति से सुधरेगी
स्थिति -कांग्रेस
लखनऊ। मुख्यमंत्री द्वारा कानून व्ववस्था
पर अधिकारियों की बैठक कर दिशा निर्देश
देने को विपक्षी दलों ने नाकाफी बताया है।
भाजपा ने कहा कि नीति व नियत ठीक किए बिना
कानून व्यवस्था ठीक नहीं हो सकती वहीं
कांग्रेस ने कहाकि स्थिति में सुघार बैठकों
से ही नहीं दृढ इच्छाशक्ति से होगा।
भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री
की समीक्षा बैठक छलावा है। प्रदेश प्रवक्ता
विजय बहादुर पाठक ने कहा नीति और नियत ठीक
किये बगैर न कानून व्यवस्था ठीक हो सकती
है और न ही राज्य के विकास को पटरी पर लाया
जा सकता है। इससे बेहतर था कि मुख्यमंत्री
अपने पार्टी संगठन की समीक्षा बैठक कर
कार्यकर्ताओं को सुधारने के लिए कहते तो
बेहतर परिणाम की आशा हो सकती थी। क्योंकि
राज्य की कानून व्यवस्था के लिए सर्वाधिक
चुनौती सपा कार्यकर्ता ही है। पूरी तौर पर
भ्रमित अखिलेश सरकार कानून व्यवस्था के
मोर्चे पर जैसे ही ठीक होने और सख्ती का
संदेश देने की कोशिश करती है, वैसे ही
अराजक तत्व सरकार को चुनौती देते है। इन
चुनौती देते तत्वों को सत्तारूढ़ दल के
नेताओं का संरक्षण होता है।
पार्टी के राज्य मुख्यालय पर पत्रकारों से
चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता विजय
बहादुर पाठक ने कहा कि लखनऊ में जब सरकार
कानून व्यवस्था ठीक होने के दावे कर रही
थी तो एक बार फिर अपराधी अपनी ताकत का
एहसास करा भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता
ओमवीर सिंह फौजी की हत्या कर रहे थे। तीन
बच्चों के पिता फौजी लोकप्रिय नेता थे।
उनके पिता प्रधान रहे है। पार्टी इस दुखद
घटना की निंदा करती है। श्री पाठक ने फौजी
के हत्यारों का पता लगा तत्काल गिरफ्तारी
की मांग करते हुए कहा कि राज्य में
राजनैतिक हत्याओं का दौर शुरू हो गया जो
खतरनाक है। उन्होंने कहा अपराधी गंभीर
घटनाओं को अंजाम देकर सरकारी दावों की
धज्जियां उडाते है। एक तरफ मुख्यमंत्री
अधिकारियों को नसीहत देते है कि बगैर दबाव
के काम करें। दूसरी ओर बेलगाम हो रहे अपने
कार्यकर्ताओं को रोक नही पा रहे।
उन्होने कहा राज्य में बढ़ रहे अपराधों और
इन अपराधों को करने वाले अपराधियों को
सत्तारूढ़ दल के नेताओं का प्रत्यक्ष रूप
से सर्मथन घटनाओं को विभत्स रूप से दे रहा
है। घटनाएं शर्मसार कर रही है। राज्य में
खाकी पहनकर अपराध करने वाले दरिंदगी के
मामले शातिर अपराधियों को भी पीछे छोड़ दे
रहे है। सम्भल के बहजोई में दो सिपाहियों
द्वारा नाबालिग बच्ची के साथ किये गये
दुष्कर्म की घटना का जिक्र करते हुए श्री
पाठक ने कहा अखिलेश सरकार का इकबाल खत्म
हो गया है। राज्य मंे जिन पर आम जन की
सुरक्षा का जिम्मा है, वही बेखौफ होकर
आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे है। जब
पुलिसकर्मी ही अपराध को अंजाम देंगे तो
आमजन की सुरक्षा कौन करेंगा?
श्री पाठक ने कहा कि लोकसभा चुनावों के
बाद पूरे राज्य में सपाई आतंक पर उतारू हो
गये है। नोएडा में भाजपा नेता विजय पंडित
की हत्या के बाद बीती रात राजधानी लखनऊ के
अलीगंज थाना क्षेत्र में सपा पार्षद द्वारा
जिस तरह से व्यापारी नेता एवं भाजपा
कार्यकर्ता पर जानलेवा हमला कर फायरिंग की
गई उससे साबित होता है कि अराजक हो रहे
सपाई को सत्ता शीर्ष से संरक्षण प्राप्त
है। इसीलिए वे बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम
दे रहे है।
उप्र के मुख्यमंत्री द्वारा आज बुलाई गयी
शीर्ष अधिकारियों आईएएस एवं आईपीएस की
बैठक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए
प्रदेश कंाग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने
कहा कि सिर्फ बैठकें करने और पेंच कसने से
व्यवस्था में सुधार नहीं होगा बल्कि इसके
लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और सरकार को स्वयं
ईमानदारी से कार्य करना होगा।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने
आज यहां जारी बयान में कहा कि नौकरशाही
में प्रदेश सरकार को जाति, वर्ग की राजनीति
छोड़कर ईमानदारी से योग्य एवं सक्षम
अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति एवं
जवाबदेही तय करनी चाहिए, तभी व्यवस्था में
सुधार संभव है। लोकसभा चुनाव से पूर्व
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश से लेकर जिले
स्तर तक अपने चहेते अधिकारियों की तैनाती
के साथ ही थानों में जाति विशेष के लोगों
की नियुक्ति गयी तथा योग्य और सक्षम लोगों
को पीछे रखा गया, इसी का ही दुष्परिणाम रहा
कि आज कानून व्यवस्था प्रदेश में पूरी तरह
ध्वस्त हो गयी और संभाले नहीं संभल रही
है।
प्रवक्ता ने कहा कि बिजनौर में किशोरी के
साथ हुई बलात्कार की घटना के उपरान्त
पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही न किये जाने
पर पीडि़ता द्वारा आत्मदाह करने का प्रयास
किया गया और आज ही संभल में दो पुलिस
कर्मियों द्वारा ही रेप और पुलिस अधिकारी
की पत्नी के साथ छेड़छाड़ की घटना प्रकाश
में आयी है। कानून व्यवस्था दुरूस्त करने
की जिम्मेदारी उठाने वाले ही कानून
व्यवस्था को तार-तार करने में जुटे हुए
हैं, ऐसे में कानून व्यवस्था सुधरने की
बात करना बेईमानी है।
श्री सिंह ने कहा कि उप्र में जिस तरह
जंगलराज कायम हो गया है उसके लिए प्रदेश
की समाजवादी पार्टी की सरकार पूरी तरह दोषी
है। कांग्रेस पार्टी शुरू से ही नौकरशाही
में राजनीतिकरण करने का मुद्दा उठाया,
किन्तु राज्य सरकार ने नहीं सुनी। आज
हालात यह है कि प्रदेश का हर नागरिक
असुरक्षित और भयभीत है। |