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लखनऊ।
प्रदेश सरकार ने कानून व्यवस्था में सुधार
के लिए पुलिसकर्मियों पर कड़ाई शुरु कर दी
है। इस क्रम में सरकार ने सिपाहियों और
हेड कांस्टेबिलों को दी गई पडोसी जनपद में
तैनाती की सुविधा भी वापस ले ली है। सरकार
ने फैसला किया है कि अब फिर से पुरानी
व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। इसके तहत कोई
भी सिपाही और हेडकांस्टेबिल अपने ग़ृह
जनपद के पड़ोसी जिले में तैनात नहीं हो
सकेगा। यह सुविधा प्रदेश की सपा सरकार ने
सत्ता में आने के तत्काल बाद प्रदान की
थी। यह फैसला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की
अध्यक्षता में सम्पन्न मंत्रिपरिषद् की
बैठक में लिया गया।
इस फैसले के तहत प्रदेश मंत्रिपरिषद् की
बैठक में शासनादेश दिनांक 11 जुलाई 1986
के प्रस्तर-5 को फिर से पुनर्वीजीवित कर
दिया है। इस शासनादेश के तहत कोई भी
हेडकांस्टेबिल तथा कांस्टेबिल अपने गृह
जनपद या पडोसी जनपद में तैनाती नहीं पा
सकेगा। इसके साथ ही उसकी नियुक्ति ऐसे जिले
में भी नहीं होगी जहां उसकी कोई अचल
सम्पत्ति हो। ज्ञातव्य है कि इस शासनादेश
को प्रदेश की सपा सरकार ने ही 20 मार्च
2012 को सत्ता में आने के बाद निष्प्रभावी
कर दिया था। किन्तु अब प्रदेश की कानून
व्यवस्था बिगड़ने पर सपा सरकार ने ही अपने
आदेश को वापस ले लिया है। इससे बड़े पैमाने
पर ऐसे पुलिसकर्मियों के तबादले होंगे जो
अपने घऱ के पड़ोसी जिले में तैनाती पाये
हुए हैं।
सरकार ने कानून व्यवस्था की समीक्षा के
दौरान यह पाया कि पडोसी जिलें में तैनाती
पाए सिपाही और हेडकांस्टेबिल राजनीति में
लिप्त रहते हैं तथा अपने परिजनों और
रिश्तेदारों के लिए कानून व्यवस्था का
ध्यान नहीं रखते।
सरकार बनाएगी सडक सुरक्षा कोष
मंत्रिपरिषद ने बढ़ती हुई सड़क दुर्घटनाओं
की रोकथाम एवं यातायात प्रबंधन हेतु
‘उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा नीति’ बनाए जाने,
‘राज्य सड़क सुरक्षा परिषद’ का पुनर्गठन
किए जाने, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में
‘उच्चाधिकार प्राप्त समिति’ का गठन किए
जाने, उच्चाधिकार प्राप्त समिति के
सचिवालय के रूप में कार्य करते हेतु
परिवहन आयुक्त कार्यालय में ‘सड़क सुरक्षा
प्रकोष्ठ’ की स्थापना किए जाने, ‘उत्तर
प्रदेश सड़क सुरक्षा कोष’ के सृजन किए जाने
एवं इस हेतु ‘उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा
कोष नियमावली, 2014’ के प्रख्यापन को
मंजूरी प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि सड़क सुरक्षा का मामला आम
जनता से जुड़ा होने के कारण राज्य सरकार की
प्राथमिकताओं में शामिल है। देश में
प्रतिवर्ष होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में
राज्य का अंश काफी अधिक है। इस चिंताजनक
स्थिति के समाधान हेतु राज्य सरकार ने
राज्य स्तरीय एवं राष्ट्रीय राजमार्गों पर
सड़क दुर्घटना पर प्रभावी अंकुश लगाने एवं
दुर्घटनाओं में घायलों को त्वरित चिकित्सा
सुविधा उपलब्ध कराने हेतु यह निर्णय लिया
है।
सत्र 2014-15 की स्थानांतरण नीति को
मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने सत्र 2014-15 की
स्थानांतरण नीति को मंजूरी प्रदान कर दी
है। साथ ही स्थानांतरण नीति में
आश्यकतानुसार संशोधन हेतु मुख्यमंत्री को
अधिकृत किया गया है। स्थानांतरण नीति के
अनुसार एक जनपद में 06 वर्ष एवं मण्डल में
10 वर्ष पूर्ण करने वाले समूह ‘क’ एवं ‘ख’
के अधिकारियों के स्थानांतरण का प्राविधान
किया गया है। विभागाध्यक्षों द्वारा समूह
‘ख’ के अधिकारियों के स्थानांतरण किए जा
सकेंगे। यह भी व्यवस्था की गई है कि नीति
के प्राविधानों से आच्छादित होने वाले
प्रकरणों में 10 प्रतिशत की सीमा तक
स्थानांतरण किए जा सकेंगे। स्थानान्तरण
करने हेतु अवधि के निर्धारण के लिए कट आॅफ
डेट 31 मार्च, 2014 रखी गई है। विकलांगजनों
को इस स्थानांतरण नीति से मुक्त रखा गया
है। वर्तमान स्थानांतरण सत्र में समस्त
स्थानांतरण 15 जुलाई, 2014 तक पूरा कर लिए
जाने का प्राविधान भी किया गया है।
मुख्यमंत्री द्वारा जनहित एवं प्रशासनिक
दृष्टिकोण से कभी भी और किसी भी कार्मिक
को स्थानांरित किए जाने के आदेश दिए जा
सकेंगे। 02 वर्ष में सेवानिवृत्त होने वाले
समूह ‘ग’ के कार्मिकों को उनके गृह जनपद
एवं समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के कार्मिकों को (उनके
गृह जनपद को छोड़ते हुए) इच्छित जनपद में
तैनात करने पर विचार करने का प्राविधान भी
किया गया है।
पी.पी.पी. परियोजनाओं के प्रस्तावित
संशोधनों को मंजूरी
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश की विभिन्न पी.पी.पी.
परियोजनाओं के सम्बन्ध में जारी मार्गदर्शी
सिद्धान्तों/दिशा निर्देशों के लिए
प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी प्रदान कर
दी है। इसके तहत 25 करोड़ रुपए तक की
पी.पी.पी. परियोजनाओं हेतु पी.पी.पी. बिड
मूल्यांकन समिति (बीईसी) संबंधित विभाग के
प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में गठित की
जाएगी। समिति में वित्त, न्याय, नियोजन तथा
अवस्थापना विकास विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव
सदस्य होंगे। समिति के अध्यक्ष
आवश्यकतानुसार अन्य संगत विभागों/निकायों
के प्रतिनिधि को शामिल कर सकेंगे। यह समिति
25 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं हेतु अपनी
संस्तुति मंत्रिपरिषद को प्रस्तुत करेगी।
25 करोड़ रुपए से अधिक व 100 करोड़ रुपए तक
की पी.पी.पी. परियोजनाओं हेतु बीईसी
अवस्थापना विकास विभाग के प्रमुख सचिव की
अध्यक्षता में गठित की जाएगी। समिति में
वित्त, न्याय एवं नियोजन विभाग के प्रमुख
सचिव/सचिव सदस्य होंगे। समिति के अध्यक्ष
आवश्यकतानुसार अन्य प्रतिनिधि को शामिल कर
सकेंगे। यह समिति 100 करोड़ रुपए तक की
परियोजनाओं हेतु अपनी मूल्यांकन संस्तुति
संबंधित प्रशासकीय विभाग के माध्यम से
मंत्रिपरिषद को प्रस्तुत करेगी।
100 करोड़ रुपए से अधिक एवं 01 हजार करोड़
रुपए तक की परियोजनाओं का मूल्यांकन
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की
अध्यक्षता में गठित होने वाली बीईसी करेगी।
इस समिति में वित्त, न्याय, नियोजन,
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास एवं संबंधित
प्रशासकीय विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव
सदस्य होंगे। समिति के अध्यक्ष
आवश्कतानुसार अन्य संगत विभागों के
प्रतिनिधि को शामिल कर सकेंगे। यह समिति
मूल्यांकन संस्तुति संबंधित प्रशासकीय
विभाग के माध्यम से मंत्रिपरिषद को
प्रस्तुत करेगी।
1000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की
परियोजनाओं हेतु बीईसी अवस्थापना एवं
औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में
गठित होगी। इस समिति में वित्त, न्याय,
नियोजन, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास एवं
संबंधित प्रशासकीय विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव
सदस्य होंगे। समिति के अध्यक्ष
आवश्यकतानुसार अन्य संगत विभागों/निकायों
के प्रतिनिधि शामिल कर सकेंगे। यह समिति
अपनी संस्तुति मुख्य सचिव की अध्यक्षता
वाली सचिव समिति को प्रस्तुत करेगी। सचिव
समिति अपनी संस्तुति संबंधित प्रशासनिक
विभाग के माध्यम से मंत्रिपरिषद को अंतिम
निर्णय हेतु प्रस्तुत करेगी।
पी.पी.पी. गाईड लाइन्स/दिशा निर्देशों में
परामर्शी चयन के संबंध में निर्णय लिया गया
है कि परियोजनाओं के सुचारु एवं तीव्र
क्रियान्वयन हेतु परामर्शी के चयन के
संबंध में 500 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं
हेतु 01 से अधिक शाॅर्ट लिस्टेड बिडर्स के
मामले में संबंधित प्रशासकीय विभाग की
अध्यक्षता वाली परामर्शी मूल्यांकन समिति
का निर्णय अंतिम होगा। 500 करोड़ रुपए से
अधिक की परियोजनाओं हेतु 01 से अधिक
शाॅर्ट लिस्टेड बिडर्स के प्रकरणों में
अंतिम निर्णय हेतु इम्पावर्ड कमेटी का
प्राविधान यथावत बनाया रखा गया है।
प्रदेश में वायु सेवा संचालित करने हेतु
नीति निर्धारित
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में वायु सेवा
संचालित करने हेतु नीति निर्धारित कर दी
है। पर्यटन विकास के दृष्टिगत, क्षेत्रीय
वायुयान सेवा को प्रोत्साहित करने के लिए
‘मुक्त आकाश नीति’ के अनुसार प्रदेश सरकार
द्वारा वायु सेवा प्रदाता/संचालक को कतिपय
सुविधा/प्रोत्साहन दिया जाएगा।
इन सुविधाओं/प्रोत्साहनों में सेवा के
दौरान वायुयान में कतिपय सीट अण्डर राइट
किया जाना, अधिकतम 40 हजार किलो भार तक के
शिड्यूल्ड अथवा नाॅन शिड्यूल्ड यात्री
वायुयानों को र्ही इंधन पर लगने वाले वैट
पर समुचित छूट प्रदान किया जाना, वायु सेवा
प्रदाता को राज्य सरकार की वायु पट्टियों
पर निःशुल्क लैण्डिंग एवं पार्किंग सुविधा
प्रदान किया जाना आदि प्रमुख हैं। इसके
अलावा वायु सेवा संचालन/टिकटिंग/सीट
उपलब्धता मंे पारदर्शिता हेतु प्रयुक्त
वेब-पोर्टल का वायु सेवा प्रदाता एवं
अपटुअर्स, उ0प्र0 राज्य पर्यटन विकास निगम
द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा।
वायु सेवा प्रदाता द्वारा सुरक्षा संबंधी
समस्त प्राविधानों एवं वायुयानों का
रख-रखाव सुनिश्चित किया जाएगा। वायु सेवा
प्रदाता द्वारा पायलेट तथा अन्य कर्मचारियों
की नियुक्ति डी0जी0सी0ए0 द्वारा गठित नियमों
के अन्तर्गत की जाएगी। प्रदेश में वायु
सेवा संचालित करने के संबंध में अग्रेतर
आवश्यक निर्णय लेने के लिए मंत्रिपरिषद
द्वारा मुख्यमंत्री को अधिकृत भी किया गया।
गौरतलब है कि प्रदेश में वायु सेवा संचालन
शुरू किये जाने के संबंध मंे मंत्रिपरिषद
द्वारा 1 जुलाई, 2013 को सैद्धांतिक सहमति
प्रदान की गई थी तथा इससे संबंधित समस्त
कार्याें के लिए उ0प्र0 राज्य पर्यटन
विकास निगम को नोडल विभाग बनाया गया था।
साथ ही, वायु मार्गाें की फीजिबिलिटी एवं
आर0एफ0क्यू0 आदि तैयार करने हेतु
कंसल्टेन्ट की नियुक्ति किए जाने का
निर्णय लिया गया।
यह भी उल्लेखनीय है कि पर्यटन और इसके
जरिए व्यापार तथा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
देने के लिए राज्य में वायु सेवा को
संचालित किए जाने का निर्णय लिया गया था।
इसके तहत आगरा, वाराणसी, गोरखपुर,
म्योरपुर, मेरठ, इलाहाबाद, लखनऊ, चित्रकूट,
मुरादाबाद एवं कुशीनगर आदि नगरों को आपस
में तथा अन्य पर्यटन केन्द्रों से जोड़ा
जाना प्रस्तावित है।
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