लखनऊ, 26, जून। (उप्रससे)।
डिप्टी सीएएमओ डा.वाई सचान की जेल में
हत्या किये जाने के बाद मीडिया में आयी
खबरों से प्रदेश सरकार बौखला गई है। सरकार
ने मीडिया को नियंत्रित करने के लिए अब
पुलिस का सहारा लेना शुरु कर दिया है।
पुलिस ने बाती रात आईबीएन-7 के संवाददाताओं
को हिरासत में लेकर मारा पीटा और हवालात
में डाल देने की धमकी दी। घटना सेआक्रोशित
पत्रकारों के देर रात आन्दोलित होने पर
सरकार ने एडिशनल एसपी और सी ओ को निलंबित
कर दिया है। किन्तु पत्रकार मामले में
रिपर्ट दर्ज कराने पर अड़े हैं। पूरे
घटनाक्रम से राजधानी के पत्रकारों में
आक्रोश है।
घटना बीती करीब आठ बजे
की है। हजरतगंज के तेजकुमार प्लाजा स्थित
आईबीएन-7 की टीम अपनी कार में बैठकर कहीं
जा रही थी। इसी दौरान एएसपी पूर्वी
डा.बी.पी.अशोक और क्षेत्राधिकारी कोतवाली
हजरतगंज अनूप कुमार अपने साथियों के साथ
आये और कार से संवाददाता शलभमणि त्रिपाठी
और उनके सहयोगी को कार से खींच लिया। दोनोंं
के साथ अधिकारियों ने मारपीट की और फिर
पुलिस जीप में घसीट कर डाल दिया। दोनों को
हजरतगंज कोतवाली ले जाया गया जहां उन्हें
फिर से पीटने के आदेश दिये गए। दोनों को
कोतवाली की हवालात में बंद करने की भी धमकी
दी गई। इसी दौरान पत्रकारों मामले की
जानकारी हुई तो वे तत्काल कोतवाली पहुंच
गए। पत्रकारों की भीड़ बढ़ने पर अधिकारी
मौके से चले गए। बाद में संवाददाताओं को
कोतवाली से जाने के लिए कह दिया गया।
किन्तु पत्रकार अधिकारियों के खिलाफ
कार्रवाई करने पर अड़ गए। उन्होंने जुलूस
निकाला और राजभवन की ओर कूच कर दिया।
घटनाक्रम चेनलों पर दिखाये जाने पर सरकार
भी हरकत में आयी। आनन फानन में मुख्यमंत्री
के सचिव नवनीत सहगल ने मीडिया को जानकारी
दी कि दोनों अधिकारियों एएसपी बी पी अशोक
और सीओ कोतवाली हजरतगंज अनूप कुमार
निलंबित कर दिया गया है।
ज्ञातव्य है कि
डा.वाई.एस सचान की 22 जून को जिला कारागार
में हुई संदेहास्पद स्थिति में मौत के बाद
सरकार और अधिकारी संदेह के घेरे में आ गए
थे। अधिकारी मामले को बार बार आत्महत्या
का मामला बता रहे थे। किन्तु पोस्टमार्टम
रिपोर्ट ने हत्या की पुष्टि की तो मीडिया
ने इस बात को प्रचारित किया कि डा सचान की
हत्या की गई है। इसी बात से सरकार बौखला
गई तथा मीडिया को सबक सिखाने की ठान ली।
इस मामले को आईबीएन- 7 ने बढ़ चढ़ कर
दिखाया। उसने एक दिन पहले ही पोस्टमार्टम
करने वाले डाक्टर का भी इंटरव्यू कर लिया।
इसी से नाराज होकर सरकार के निर्देश पर
पुलिस ने पत्रकारो सबक सिखाने की ठान ली।
इसका पहले शिकार शलभमणि त्रिपाठी हुए।
हालांकि डा,.सचान हत्याकण्ड में पुलिस ने
रिपोर्ट दर्ज करली है।
News & Article:
Comments on this
upsamacharsewa@gmail.com
up_samachar@sify.com |