लखनऊ। ( उ.प्र.समाचार सेवा )।
वरिष्ठ पत्रकार वाशिन्द्र मिश्र की पुस्तक ' सच से
मुकाबिल ' और ' इनकाउण्टर विद पालिटिक्स' का
विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी सच से
मुकाबिल हुए। अपने आवास 5 कालीदास मार्ग पर आयोजित
साहित्यिक-पत्रकारीय आयोजन में उन्होंने बड़ी वेबाकी से
कहा ' हम सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक एण्ड रिफाइण्ड
कम्युनिस्ट" हैं।
आज की पालिटिक्सः
घटनाएं बनाम पालिसी
मुख्यमंत्री
श्री यादव ने इस मौके पर राजनीति की दिशा और दशा की चर्चा
की। उन्होने कहा कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए
चुनाव हो रहा है। इस पर आज सुबह एक डिबेट आ रही थी, इसे
देखने से लगा कि वहां पालिसी पर पालिटिक्स होती है। जबकि,
हमारे घटनाओं पर पालिटिक्स की जा रही है। कुछ घटनाओं को
लेकर राजनीति होने लगती है। हम पालिसी पर पालिटिक्स नहीं
करते। समाज में बहुत कुछ घटता रहता है। घटनाओं से हट जाएं,
इन पर राजनीति नहीं करें। उन्होंने
कहा कि हमें परिपक्व लोकतंत्र के रुप में मजबूत होने की
जरुरत है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है
जो देश का भाग्य तय करता है।
ब्रेकिंग न्यूज की
क्रेडिबिल्टी खत्म
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पुस्तकों का विमोचन करने के
बाद मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए अपनी वो पीड़ा भी
व्यक्त की, जिसे उन्होंने मीडिया के कारण झेला। चूंकि
कार्यक्रम मीडिया से जुड़ा था। इसलिए उन्होंने यह पीड़ा
पत्रकारो के सामने ही व्यक्त कर दी। मुख्यमंत्री ने कहा
कि मीडिया की 'ब्रेकिंग न्यूज' की क्रेडिबिल्टी अब खत्म
हो रही है। इसके लिए उन्होंने बदायुं की घटना का भी
उदाहरण दिया। जहां एक खबर दिखायी गई थी कि बलात्कार के
बाद दो सगी बहनों की पेड़ से लटका कर हत्या कर दी गई। इस
मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि यह गूंज संयुक्तर राष्ट्र
संघ तक सुनाई दी थी। बाद में मामला पुलिस जांज में
आत्महत्या का साबित हुआ था। उन्होंने कहा कि मीडिया ही
उठाता है और मीडिया ही फिर गिराता भी है।
इन्टरनेट ने बनाया , सिटिजन
ब्राडकास्टर
मुख्यमत्री
ने कहा कि अब मीडिया में एकाधिकार भी खत्म हो रहा है।
इंटरनेट के आने से जनता को आजादी मिल गई है। नागरिक खुद
ही ब्राडकास्टर हो गए हैं। वह अपनी खबर को खुद भी आम आदमी
तक पहुंचा देते हैं। यह सब कुछ सोशल मीडिया के कारण संभव
हो सका है। कोई भी बात जब सोशल मीडिया पर कही जाती है या
पोस्ट की जाती है तो वह 25 से 30 लाख लोगों तक पहुंच जाती
है। इतने लोगों की रीडरशिप क्या किसी एक एक अखबार की हो
सकती है। आज गांव-गांव मं वॉट्सएप पहुंच गया है।
मीडिया
आगे आए तो लड़ाई में साथ देने को तैयार
मीडिया
में काम कर रहे पत्रकारों और अन्य कर्मचारियों को वेतन
भत्तों का मामला स्वयं मुख्यमंत्री ने उठाया। उन्होंने
कहा कि हम किसी बड़े मीडिया घराने से सम्बन्ध नहीं रखते
हैं। मुनाफे का सही और समान रूप से बंटबारा होना चाहिए।
यदि पत्रकार संगठन और पत्रकार खुद संघर्ष के लिए आगे आयें
तो हम उनका साथ देंने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हम
हक दिलाना चाहते हैं क्योंकि हम सोशलिस्ट लोग
डेमोक्रेटिक और रिफाइण्ड कम्युनिस्ट हैं।
पुस्तक
विमोचन समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार गोपालदास नीरज,
वरिष्ठ पत्रकार के.विक्रम राव, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता
अतुल अंजान, पूर्व न्यायाधीश सीबी बाण्डे, सम्पूर्णानन्द
संस्कृत विवि के पूर्व कुलपति वृन्दा प्रसाद मिश्र,
मंत्री राजेन्द्र चौधरी और नितिन अग्रवाल तथा सांसद
सुरेन्द्र नागर मंच पर मौजूद थे। इनके अलावा समारोह में
भारी संख्या में राजधानी के वरिष्ट पत्रकार और
साहित्यकार उपस्थित हुए।