लखनऊ । 22 जुलाई,
2016 । (उ.प्र.समाचार सेवा)।
बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने स्वीकार किया है कि
गुरुवार को हुए धरना-प्रदर्शन के दौरान दयाशंकर सिंह
की बहन-बेटी के खिलाफ नारे लगे थे किन्तु कार्यकर्ताओं
की नीयत गलत नही थी। नारे सिर्फ इस लिए लगाए गए थे कि
दयाशंकर की मां, बहन और बेटी को पेश करो ताकि पूछा जा
सके कि क्या बहन जी के लिए जो कुछ कहा गया वह गलत था
या सही।
उन्होंने
यह भी कहा कि दयाशंकर सिंह जो कुछ भी कहा वह एक इंसान
नहीं कह सकता है, ऐसी भाषा किसी जानवर की ही हो सकती
है। उन्होंने कहा कि उनके तथा उनकी पार्टी के अन्य
नेताओं के खिलाफ दयाशंकर सिंह की मां ने रिपोर्ट दर्ज
करायी है जोकि सरासर झूठी है उन्होंने इस तरह की कोई
बात कही ही नहीं।
श्री सिद्दीकी ने कहा कि गुजरात की घटना
से अपना राजनैतिक नुकसान होते हुये देखकर अब इस मामले
को नया मोड़ देने का प्रयास किया है, लेकिन भाजपा को
कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि दयाशंकर
सिंह की मां ने कल लखनऊ में किये गये धरना-प्रदर्शन को
लेकर आज एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने मेरे
एवं मेरे कुछ अन्य साथियों के ऊपर यह आरोप लगाया है कि
धरना-प्रदर्शन के दौरान् उनके लड़के दयाशंकर सिंह को
कुत्ता कहकर अपमानित किया गया है।
श्री सिद्दीकी ने कहा कि दयाशंकर सिंह
की मां को सोचना चाहिए कि उनके बेटे दयाशंकर सिंह ने
जिस प्रकार की अभद्र अमर्यादित व अति-आपत्तिजनक भाषा
का इस्तेमाल किया है, तो ऐसी भाषा का इस्तेमाल एक
इन्सान नहीं बल्कि जानवर ही कर सकता है। बसपा महासचिव
ने कहा कि ‘दयाशंकर सिंह अपनी मां को बहन को, बेटी को
पेश करो - पेश करो’’, आरोप बिल्कुल निराधार एवं गलत
है। यह सब केवल भाजपा की एक सोची-समझी रणनीति ही लगती
है।
नसीमुद्दीन ने सवाल किया कि ‘‘क्या इस
भाषा को दयाशंकर सिंह की मां, बहन व बेटी सही ठहरायेंगी
या फिर इसकी निन्दा व भर्त्तसना करेंगी’’ इसलिये नारे
में दयाशंकर सिंह से कहा गया कि इनको हमारे सामने पेश
करो। ताकि उनसे यह पूछा जा सके कि क्या वो दयाशंकर
सिंह द्वारा इस्तेमाल किये गये ऐसे घिनौने व अमर्यादित
शब्दों से सहमत है या नहीं।