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पीपीपी मोड पर बनेंगे सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल
Tags:  U.P.Samachar Sewa, U.P. News, Lucknow,
Publised on : 18 July 2016,  Last updated Time 19:59
लखनऊ,17 जुलाई। प्रदेश सरकार ने सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालयों की स्थापना के लिए नीति मे संशोधन किया है। संशोधन प्रस्ताव को आज केबिनेट की बैठक में स्वीकृति प्रदान कर दी गई।

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में पी0पी0पी0 मोड पर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की स्थापना के लिए निर्धारित नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करते हुए इस सम्बन्ध में दिनांक 07 अगस्त, 2013 तथा 28 अक्टूबर, 2015 के शासनादेश में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
इसके तहत मेडिकल काउन्सिल आॅफ इण्डिया द्वारा निर्धारित सुपर स्पेशियलिटी मंे से कार्डियोलाॅजी एवं कार्डिएक सर्जरी के अलावा एक या एक से अधिक सुपर स्पेशियलिटी (कैंसर को छोड़कर) को चयनित करने का अधिकार निजी निवेशकर्ता को दिए जाने का प्राविधान किया गया है। कार्डियोलाॅजी एवं कार्डिएक सर्जरी से सम्बन्धित न्यूनतम बिस्तरों की बाध्यता को 50 प्रतिशत से कम करके 35 प्रतिशत किए जाने का भी प्राविधान किया गया है।
यह भी प्राविधान किया गया है कि सफल निजी निवेशकर्ता द्वारा निविदा में जितने प्रतिशत में बिस्तरों को सी0जी0एच0एस0 दरों के आधार पर उपलब्ध कराये जाने का प्रस्ताव दिया जाएगा, उसी प्रतिशत के आधार पर निजी निवेशकर्ता अन्य सुपर स्पेशियलिटी में भी बिस्तरों को उपलब्ध कराये जाने हेतु बाध्य होगा। इसके साथ ही, निजी निवेशकर्ता इसी प्रतिशत के आधार पर ओ0पी0डी0 एवं ओ0पी0डी0 सम्बन्धित चिकित्सीय जाँचों को सी0जी0एच0एस0 दरों पर उपलब्ध कराने के लिए बाध्य होगा।
निवेशकर्ता को शासन द्वारा एक हजार रुपए के सांकेतिक मूल्य पर 30 वर्षों के लिए लीज पर अधिकतम 10 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। रियायत अवधि (कन्सेशन पीरियड) को प्रारम्भिक 30 वर्षों की अवधि की समाप्ति पर रिव्यू समिति द्वारा सन्तोषजनक सेवा प्रमाणित करने के उपरान्त 10-10 वर्ष हेतु (अधिकतम कन्सेशन पीरियड 50 वर्ष) तक विस्तारित किया जा सकता है। 50 वर्ष की रियायत अवधि के उपरान्त आर0एफ0क्यू0 कम आर0एफ0पी0 की नियमों एवं शर्तों के अनुसार निवेशकर्ता द्वारा प्रस्तावित चिकित्सालय को प्रदेश सरकार को हस्तान्तरित किया जाएगा। सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय को 50 वर्ष के बाद चलाने की प्रक्रिया का सर्वाधिकार प्रदेश सरकार के पास सुरक्षित रहेगा। प्रदेश सरकार द्वारा यह निर्णय लिया जाएगा कि उस समय निर्धारित की गई शर्तों के अनुसार निविदादाता पुनः निष्पक्ष एवं पारदर्शी प्रतिस्पर्धा में भाग ले, जिसमें वर्तमान निविदादाता को पहले मना करने का अधिकार (राइट आफ फस्र्ट रेफ्युजल) दिया जाएगा।
इस परियोजना को लागू करने के लिए डेवलपर आदि के चयन के लिए अग्रेतर कार्यवाही एवं नीतिगत निर्णय लेने हेतु मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।
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News source: UP Samachar Sewa

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