Publised on : 17 July 2016, Last updated Time
21:29
उरई।
समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पुनर्गठन
में राज्यसभा सदस्य चंद्रपाल सिंह यादव का पत्ता साफ
होने से बुंदेलखंड की राजनीति में तूफान आ गया है।
चंद्रपाल सिंह यादव समाजवादी पार्टी के गठन के समय से
ही राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष का ओहदा संभाले हुए थे। लेकिन
न केवल उनसे पार्टी नेतृत्व ने यह जिम्मेदारी छीन ली
है बल्कि उन्हें कार्यकारिणी सदस्य तक नही बनाया है।
अभी कुछ समय पहले तक बुंदेलखंड में समाजवादी पार्टी के
अंदर चंद्रपाल सिंह यादव के बिना पत्ता तक नही खड़कता
था। वे सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह के चहेते नेताओं में
शामिल थे। उन्हें मुलायम सिंह ने ग्रास रूट लेविल से
ऊपर उठाकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रमोट करने में कोई कसर
नही छोड़ी। लेकिन इस बार पार्टी के सत्ता में आने के
दिन से ही चंद्रपाल सिंह का दबदबा हल्का होता चला गया
था। जिले में बाबई की सभा में सीएम अखिलेश यादव ने
उन्हें खास तवज्जो नही दी। जिसे उपस्थित हजारों की भीड़
ने देखा और मार्क किया। इसके बाद ही यह चर्चा चल पड़ी
थी कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की उन पर पहले की तरह
नजरे इनायत नही रह गई हैं और अखिलेश निजाम में उनके
पंख कतरे जा रहे हैं।
हालांकि पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव हारने के बाद
संसद के उच्च सदन में पहुंचाया था। जिसकी वजह से लोग
यह मानते थे कि अंततोगत्वा वे फिर पार्टी में अपना
सिक्का जमा लेगें लेकिन विधानसभा चुनाव के टिकिट वितरण
में और जिलों की तो छोड़े जब झांसी तक में उनकी राय को
महत्व नही दिया गया तो जाहिर हो गया था कि चंद्रपाल
वास्तव में पार्टी नेतृत्व की निगाह से उतर गये हैं।
जबकि एक समय रज्जू बुधौलिया जैसे लोगों को दूसरी पार्टी
से खीचकर चंद्रपाल ने संसदीय चुनाव तक में सपा का
टिकिट दिलवाया था।
चंद्रपाल को हाल में सबसे ज्यादा धक्का तब लगा जब बबीना
क्षेत्र से श्याम सुंदर यादव को समाजवादी पार्टी का
उम्मीदवार बना दिया गया। एक समय श्याम सुंदर यादव
चंद्रपाल के ही शार्गिद माने जाते थे लेकिन बाद में
उनके और श्याम सुंदर के बीच इतनी कटुता हो गई कि श्याम
सुंदर ने गत विधानसभा चुनाव में उनके सीधे खिलाफ बबीना
से पर्चा भर दिया। इसके बाद चंद्रपाल ने श्याम सुंदर
को हैसियत दिखाने में कोई कसर नही छोड़ी। लेकिन इस
अदावत को जानते हुए भी समाजवादी पार्टी के शीर्ष
नेतृत्व ने श्याम संुदर को बुलाकर टिकिट ऑफर किया।
जिसके बाद उन्होंने भाजपा छोड़कर फिर सपा की सदस्यता
ले ली।
चंद्रपाल पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की इस रुसवाई को हजम
नही कर पा रहे हैं। हाल ही में उनके मुंह से बगावत के
सुर फूट पड़े। इसके बाद उन्हें हाशिये पर धकेला जाना
तय हो गया था। सपा हाईकमान की यह नीति मालूम होती है
कि उसने अंचल स्तर पर कोई मठाधीश बनाने की बजाय हर
विधानसभा क्षेत्र में अपने से सीधे जुड़े नेता को
उभारने का इरादा बना लिया है। तांकि मायावती की तरह सपा
मे भी मजबूत अनुशासन कायम रह सके।
गृह कलह से परेशान युवती ने लगाई फांसी
उरई। गृह कलह से परेशान युवती ने घर के अंदर फांसी
लगाकर खुदकुशी कर ली। रामपुरा थाना क्षेत्र के ग्राम
नरौल में 25 वर्षीय जमुना देवी ने अपने घर के अंदर
फांसी लगा ली। घरवालों ने जब तक उसे देखा तब तक उसके
प्राण पखेरू उड़ चुके थे। परिवार के लोगों में घटना को
लेकर काफी देर तक कोहराम मचा रहा। इस बीच खबर पाकर
रामपुरा थानाध्यक्ष राजा भइया मौके पर पहुंच गये।
उन्होंने शव को उतरवाकर अपने कब्जे में ले लिया और
पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। राजा भइया ने कहा कि
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ जाने के बाद ही इस मामले में
आगे की कोई कार्रवाई की जायेगी।