लखनऊ,17
जुलाई। राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह सुरेश राव केतकर
को यहां निराला नगर स्थित माधव साभागर में शोक सभा
आयोजित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। श्रद्धांजलि देते
हुए संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा
है कि सुरेश राव केतकर के प्रकाशमान जीवन और
व्यक्तित्व से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।हम उनसे
प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने जीवन भर संघ जीया,
उनका जीवन तपस्वी था। केतकर के हर सांस में संघ था। वह
व्यक्तित्व के श्रेष्ठ और उत्तम उदाहरणों में से एक
थे।
श्री होसबोले ने संघ
के वरिष्ठ प्रचारक केतकर के कार्य और जीवन को स्मरण
करते हुए बताया कि एक ध्येय, एक आदर्श लेकर सनातन जीवन
के साथ इसे जोड़ा। सुरेश राव के जीवन में डाक्टर जी का
व्यक्तित्व था। अब ऐसे लोग गिने चुने ही हैं जिन्होंने
डाक्टर जी को देखा था। किन्तु जिन्होंने सुरेश राव
केतकर को देखा है समझिए उन्होंने डाक्टर जी को देख लिया।
उनके अन्दर भी एक कहीं एक छोटे डाक्टर जी बैठे थे।
सुरेश राव के शरीर के रोम-रोम में संघ के उद्घगार थे।
वह हर कार्य कुशलता से करते थे, बारीकी और उत्तम ढंग
से करते थे।बौद्धिक और बैठक भी उत्तम ढंग से लेते थे।
श्री होसबोले ने
सुरेश राव के साथ हुई बातचीत का संस्मरण सुनाते हुए कहा
कि उनसे भेंट होने पर उन्होंने बौद्धिक देने और उसकी
तैयारी के बारे में चर्चा की। उन्होंने इस दौरान बताया
कि बौद्धिक के बारे में पहले स्वयं लिखना चाहिए। वाक्य
पूरे लिखे जाने चाहिए। फिर उसे चार बार पढ़ना और काम
करते-करते याद करना। केतकर ने यह भी बताया कि बौद्धिक
में एक भी वाक्य अनुपयुक्त नहीं होना चाहिए। क्योंकि
जो लोग सुनने आये हैं वह मूर्ख नहीं हैं। इसलिए हर
बौद्धिक और बैठक के पहले होमवर्क करना चाहिए।
सह सरकार्यवाह
होसबोले ने बताया कि जहां अनुशासन चाहिए, वहां सुरेश
राव कोई समझौता नहीं करते थे।वह जीवन जीने के तरीके
में भी कोई समझोता नहीं करते थे। वह जब धोती पहनते थे
तो वह भी बड़े ही ढंग से पहनते थे। "सब चलता है" यह
शब्द उनके साथ लागू नहीं होता था। जिन्होंने सुरेश राव
को देख लिया और उनसे मिल लिया वह कभी आलसी नहीं हो सकता।
उन्हें देखने के बाद अन्य जीवन का उदाहरण देखने की
आवश्यकता नहीं है। वह शाखा के बारे में भी बात करते थे
तो उत्पादक शाखा की बात करते थे। कहते थे कि शाखा ऐसी
हो जा कार्यकर्ताओं का उत्पाद करे। संगठन की रीति नीति
पर भी उनकी पैनी दृष्टि रहती थी। लोक नेता कैसा हो,
इसके लिए उन्होंने समर्थ गुरु रामदास की वाणी से
संग्रह कराया था।
शोक सभा में संघ की
अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य मधुभाई कुलकर्णी ने
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सुरेश राव केतकर
कठिन परिश्रमी थे। वह कार्यकर्ताओं के बारे में कहते
थे कि उत्कृष्टता इस बात पर निर्भर करती है कि
कार्यकर्ता की समझदारी कैसी हो। कार्यकर्ता प्रथम वर्ष
प्रशिक्षित है या तृतीय वर्ष यह महत्वपूर्ण नहीं है,
महत्वपूर्ण यह है कि उसकी समझदारी कैसी है। इस बात को
वह बार बार कहते थे। विद्या भारती के संगठन मंत्री
शिवकुमार ने कहा कि सुरेश राव हर क्षेत्र में संघ
विचार लेकर कार्य करने की प्रेरणा देते थे। उनका कहना
था कि जहां भी कार्य करो संघ विचार से करो। शोक सभा
में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालजी टण्डन ने भी उद्घगार
व्यक्त किये।
संघ के वरिष्ठ
प्रचारक रहे सुरेश राव केतकर की शोक सभा में अखिल
भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन, संघ के वरिष्ठ
प्रचारक ओमप्रकाश, क्षेत्र प्रचारक शिव नारायण, प्रांत
प्रचारक संजय समेत संघ और विविध संगठनों के अनेक लोग
सम्मिलित हुए। श्रद्धांजिल सभा में संघ के सर सघचालक
डा. मोहन भागवत और केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह
द्वारा प्रेषित शोक संदेश पढ़कर सुनाया गया।
ज्ञातव्य है कि
सुरेश राव केतकर का शनिवार को महाराष्ट्र के लातूर
स्थित विवेकानन्द चिकित्सालय में निधन हो गया था। वह
82 वर्ष के थे तथा चार वर्ष से अस्वस्थ थे।