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Muradnagar : बिजली घर बना आग का गोला | ||||||||||||
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Publised on : 15 July 2016, Last updated Time 20:56 | ||||||||||||
कई जिलो कि बत्ती
गुल |
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मुरादनगर।
रावली सुराना मार्ग पर स्थित काकडा विघुत वितरण उपकेन्द्र के स्वीच यार्ड मे धू
धूकर जल उठे। इस भयंकर आग ने केछ ही देर मे भयंकर रूप् धारण कर लिया। आग पर काबु
पाने के लिए फायर ब्रिगेड की करीब एक दर्जन से अधिक गाडिया ने आग पर काबू पाया।
दस अग्नि काड मे करोडो से अधिक की कीमत का तेल व अन्य उपकरण जलकर राख होना बताया
जा रहा हैं।
जब तक मुरादनगर बिजली
घर ठीक नही होता तब तक गाजियाबाद महानगर को भी बिजली संकट से जुझना पडेगा।
महानगर कि बिजली फिलहाल मुरादनगर से काटकर मोहन नगर जोडी गई हैं। बागपत बडोत
लोनी शामली सहित कई इलाको की बिजली गुल हो गई है। बिजली सामान्य होने मे कई दिन
लग सकते हैं। जानकारी के अनुसार शुक्रवार सवेरे रावली रोड स्थित बिजली घर के
240 एमवीए के ट्रांसफार्मर में आग लग गई। आग लगने के काफी देर तक विभागीय
कर्मचारियों को इसका पता नही चला सका, जिसकारण आग ने भीषण रूप धारण कर लिया।
देखते ही देखते ट्रांसफार्मर आग के गोले में तब्दील हो गया। आग की लपटें आसमान
छू रही थी। हालत यह थी कि बिजली घर में भगदड़ मच गई और लोग अपनी जान बचाने के
लिए भाग खडे हुए। ट्रांसफार्मर की आग ने अपने आसपास के अन्य छोटे-बड़े
ट्रांसफार्मरों और बिजली उपकरणों को भी अपनी चपेट में ले लिया। स्थिति बेकाबू
होने पर इसकी सूचना दमकल, पुलिस और बिजली विभाग के उच्चाधिकारियों को दी गई।
सूचना पाकर दमकल की टीम मौके पर पहंुच गई, लेकिन तब तक हालात और अधिक भयावह हो
चुके थे। इसके बाद मोदीनगर, गाजियाबाद, साहिबाबाद से दमकल की अन्य टीमों को
बुलवाया गया। इस अग्नि कांड के समय गनिमत यह रही कि केई बडे ट्रान्सफार्मर आग
की चपेट मे आने बच गये। बताया गया है कि जिस ट्रासफार्मर मे आग लगी उसमे हजारो
लीटर तेल भरा था। जिसमे आग लगने कि वजह से लपटे आसमान को छु रही थी। इतना ही नही
आग ने लोहे के तारो व उपकरनो को पानी की तरह पिघला दिया था। हाला कि फायर बिगेड
आग पर काबू तो पा लिया था। लेकिन पुरी आग पुरी तरह से बुझ नही पाई थी। एफएसओ के
मुताबिक आग पर काबू पहले ही पा लिया जाता अगर बिजली घर मे लगा हाईडेंट खराब ना
पडा होता। हाईडेंट के खराब होने से गाडियो को पानी लाने के लिये केई किलोमिटर
दुर एक टुएल पर भेजना पड रहा था। |
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News source: UP Samachar Sewa |
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