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धर्म-कर्म: श्रावण मास का प्रारंभ 20 जुलाई से, पड़ेंगे चार सोमवार | ||||||||||||
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Publised on : 15 July 2016, Last updated Time 21:14 | ||||||||||||
श्रावण मास में शिव उपासना का विशेष महत्व श्रावण मास, नक्षत्र श्रवण तथा सोमवार से भगवान शिव का गहरा संबंध |
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मुरादनगर। आगामी 20 जुलाई, बुधवार से श्रावण मास का
प्रारंभ हो रहा है। शिवोपासना के विशेष महत्व वाला
श्रावण मास 18 अगस्त, गुरुवार तक रहेगा। श्रावण मास
में इस वर्ष चार सोमवार पड़ेंगे। इस संबंध में जानकारी
देते हुए पंडि़त उमेश शर्मा बृज वासी ने बताया कि
भारतीय वांगमय में श्रावण मास का विशेष महत्व है।
श्रावण मास, नक्षत्र श्रवण तथा सोमवार से भगवान शिव का
गहरा संबंध है। गाधाएं है कि भगवान शिवशंकर ने स्वयं
अपने मुख से सनत कुमार से कहा है कि मुझे 12 महीनों
में सावन विशेष प्रिय है। इसी काल में वे श्रीहरि के
साथ मिलकर पृथ्वी पर लीला करते हैं। इस माह की यह
विशेषता है कि इसका कोई भी दिन शून्य नहीं होता। इस
महीने में गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र, शत
रूद्रीपाठ,आदि शिव मंत्रों व नामों का जप विशेष फल देने
वाला है। श्रावण मास का महात्म्य सुनने अर्थात श्रवण
योग्य हो जाने के कारण इस मास का नाम श्रावण हुआ।
पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र के साथ योग होने के
कारण भी इस मास को श्रावण कहा गया। श्रावण मास व श्रवण
नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा और चंद्रमा के स्वामी भगवान
शिव, श्रावण मास के अधिष्ठाता देवाधिदेव त्रंयम्बक शिव
ही हैं। पंडि़त उमेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष श्रावण
मास में चार सोमवार क्रमश: 25 जुलाई व 1, 8 व 15 अगस्त
को पड़ेंगे। श्रावण के सोमवार की विशेष महत्ता मानी गई
है। बारहों महीने में सोमवार का व्रत करना उत्तम है।
यदि वर्ष के सब सोमवार व्रत करने में कोई असमर्थ है तो
वह श्रावण मास के सभी सोमवार का व्रत करे। इससे वर्ष
भर के सभी सोमवारों के व्रतों का फल प्राप्त होगा। |
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News source: UP Samachar Sewa |
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