ओवरलोडिंग रोकने के लिए बैरियर
लगाकर चलेगा अभियान |
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Publised
on : 09 July 2016, Last updated
Time 20:19 |
उरई।
कालपी के यमुना सेतु के क्षतिग्रस्त होने से हाइवे पर
यातायात व्यवस्था गड़बड़ होने की आपाधापी के बीच
ओवरलोड ट्रैफिक पर नियंत्रण के मामले में प्रशासन
द्वारा दिखाई जा रही उदासीनता ज्वलंत मुददे का रूप
धारण कर चुकी है। इस मामले में प्रतिकूल धारणाएं पनपने
की तेजी को देखते हुए बैकफुट पर आये प्रशासन ने
गुरुवार से ओवरलोडिंग के खिलाफ अभियान शुरू करने की
घोषणा की। अभियान की कमान खुद जिलाधिकारी संदीप कौर
संभालेंगी।
कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बुधवार को आयोजित पत्रकार
वार्ता में जिलाधिकारी संदीप कौर ने सफाई दी कि
ओवरलोडिंग में प्रशासन का कोई हाथ नही है। उन्होंने कहा
कि इसलिए ओवरलोड ट्रकों को रियायत दिये जाने का कोई
सवाल ही नही उठता। उन्होंने कहा कि एट, डकोर और कदौरा
में बेरियर लगाये जायेंगे तांकि किसी भी ओवरलोड ट्रक
को चलने का मौका न मिले। उन्होंने कहा कि इस आदेश का
पालन हो रहा है या नही यह देखने के लिए वे खुद
प्रशिक्षु आईएएस आलोक यादव और अपर जिलाधिकारी आनंद
कुमार के साथ बेरियरों पर गश्त करेंगीं। ओवरलोड ट्रक
के पकड़े जाने पर अधिकतम चालान किया जायेगा। जिलाधिकारी
ने पुरजोर शब्दों में यह भी दावा किया कि जिले में कहीं
कोई अवैध खनन नही हो रहा है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी
जिलों के जिलाधिकारियों से भी अनुरोध किया गया है कि
वे अपने यहां से अवैध खनन के जरिये कोई ट्रक लोड होकर
न चलने दें। उन्होंने कहा कि पड़ोसी जिलों में अगर
अवैध खनन पर पूरी तरह नियंत्रण हो जाये तो उनके जिले
में ओवरलोडिंग की समस्या का काफी हद तक समाधान स्वमेव
हो जायेगा।
इसके पहले जिलाधिकारी ने विधानसभा और स्थानीय निकाय की
मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के अभियान के संबंध में
जानकारी के लिए कंट्रोल रूम के नंबर को सार्वजनिक किया।
उन्होंने फिर दोहराया कि वोट में डुप्लीकेसी नही होनी
चाहिए। उन्होंने कहा कि मृतक बताकर वोट खारिज करने की
धांधली रोकने के लिए मतदाता के घर नोटिस भेजने का
प्रावधान अनिवार्य कर दिया गया है। जिलाधिकारी ने
जर्जर भवनों के स्थान पर नई जगह बनाये गये मतदान
केंद्रों की सूची भी पत्रकारों के साथ साझा की।
अभिशाप का डरावना साया एक ही
परिवार के चार बच्चे हुए विकलांग
उरई। एक ही परिवार में चार बच्चों के विकलांग हो जाने
से पहाड़ टूट पड़ा। उस पर भी तुर्रा यह है कि परिवार
गरीबी की मार से सिसक रहा है। जाहिर है कि जिनके पास
अपने खाने तक को लाले पड़े हों। उनके पास इलाज कराने
का खर्चा कहां से आये। फिर भी हर बच्चे के मां-बाप की
तरह इन बच्चों के माता-पिता ने भी पेट काटकर इनका इलाज
कराने की कोशिश की पर कोई फायदा नही हुआ। इलाज के खर्चें
में वे टूट अलग गये। आज चारों बच्चों को साथ लेकर जब
इनके माता-पिता जिलाधिकारी संदीप कौर के सामने पेश हुए
तो उनकी आंखें नम हुए बिना नहीं रहीं। उनकी व्यथा सुनने
के बाद डीएम ने उन्हें 5 हजार रुपये की नगद व्यक्तिगत
सहायता देने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने
का आदेश भी जारी कर दिया।
रामपुरा थाने के गोराचिरइया निवासी सुशील कुमार के
बच्चे अचानक रहस्यमयी बीमारी से ग्रसित हो गये। शुरूआत
के दो बच्चे तो तीन-चार साल की उमर तक खूब पइयां-पइयां
चले लेकिन इसके बाद उनके पैर तुड़मुड गये। इसके बाद एक
बच्चा पैदा होने के कुछ ही दिन बाद विकलांग हो गया।
जबकि चौथा बच्चा विकलांग ही पैदा हुआ।
सुशील ने अपनी पत्नी के साथ बच्चों पर मड़राये अभिशाप
के साये का कारण जानने के लिए डॉक्टरों से संपर्क किया
लेकिन वे भरपूर फीस वसूलने के बावजूद न तो बच्चों का
इलाज कर पाये और न ही उनके विकलांग होने की कोई
तार्किक वजह बता पाये। सुशील कुमार की आर्थिक स्थिति
बेहद खराब है। उन्हें बटवारे में पुस्तैनी मकान का
कच्चा हिस्सा मिला था। जिसकी छत बाद में गिर गई। एक ओर
बच्चों की यह हालत दूसरी ओर आश्रय के नाम पर छत तक का
इंतजाम नही। पसीज कर छोटे भाई ने उन्हें अपने यहां शरण
दी। जीविका के नाम पर सुशील के पास केवल दो बीघा खेती
है। फिर भी आज तक उन्हें कोई सरकारी सहायता नही मिली।
विकलांग बच्चों के शौच की समस्या को देखते हुए उन्होंने
शौचालय मंजूर कराने के लिए पंचायत सचिव को रुपये दे
दिये थे लेकिन शायद वह कफन खसोट मानसिकता की वजह से
उनका भी रुपया हजम कर गया। जागरूक न होने के कारण
सुशील इतनी विपत्ति के बावजूद किसी अधिकारी या नेता के
सामने आज तक नही गया था। गांव के भले लोगों ने जब उसकी
दशा देखी तो आज वे उसे किसी तरह से जिला मुख्यालय पर
ले आये।
यह उनके हित में काफी ठीक हुआ। सुशील और उसकी पत्नी की
व्यथा कथा सुनने और बच्चों को देखने के बाद दयाद्र हुईं
जिलाधिकारी संदीप कौर ने उनको पांच हजार रुपये नगद की
सहायता अपनी ओर से दी साथ ही लोहिया आवास और अंत्योदय
कार्ड की स्वीकृति का भी आदेश उनके प्रार्थना पत्र पर
अंकित कर दिया। जिलाधिकारी के इस उपकार पर सुशील और
उसके परिवार के ही नही उपस्थित अन्य फरियादियों व
गणमान्यों के आंसू भी भावुक होकर छलक पड़े।
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source: UP Samachar Sewa |
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