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जमीन अधिग्रहण के बाद किसानों को एलआईसी के माध्यम से मिलेगी वार्षिकी

Tags:  U.P. Farmer to get anuty by L.I.C of India, Cabinet approved propsel

Publised on : 2011:07:11    Time 23:17                                      Update on  2011:07:11   Time 23:17

सरकार और एलआईसी के बीच एमओयू किये जाने को केबिनेट की मंजूरी
Lucknow, July 11,2011, Uttar Pradesh Samachar Sewa लखनऊ, 11 जुलाई। (उप्रससे)। प्रदेश के भूमि अर्जन से प्रभावित किसानों को वार्षिकी की धनराशि का एक लम्बी समयावधि (33 वर्षो) तक भुगतानवितरण का कार्य जिलाधिकारी कार्यालय के कार्याधिक्य एवं विकास सम्बन्धी विविध परियोजनाओं के समयबध्द यिान्वयन के व्यापक दायित्व के निर्वहन के कारण जिलाधिकारी के माध्यम से कराया जाना व्यवहारिक रूप से सम्भव नहीं था। इस लम्बी समयावधि में किसानों को वार्षिकी का भुगतानवितरण बिना किसी व्यवधान के नियमित रूप से सुविधाजनक एवं सुगमतापूर्वक कराये जाने हेतु इस क्षेत्र में विशेषज्ञ एवं प्रदेशभर में शाखाओंनेटवर्किंग से युक्त भारतीय जीवन बीमा निगम की ''एल0आई0सी0 गु्रप फ्लैक्सिबुल इन्कम प्लान'' को अंगीकृत करने व एम0ओ0यू0 शासन तथा भारतीय जीवन बीमा निगम के मध्य निष्पादित करने का निर्णय आज मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया।
इस व्यवस्था के अन्तर्गत निष्पादित होने वाले प्रस्तावित एम0ओ0यू0 में प्राविधान किया गया है कि एल0 आई0 सी0 द्वारा वार्षिकी के भुगतान हेतु लाभार्थीवार वांछित धनराशि का एकमुश्त भुगतान प्राप्त किया जायेगा। धनराशि का एकमुश्त भुगतान सम्बन्धित जिलाधिकारी द्वारा भूमि अर्जन अधिनियम-1894 के अन्तर्गत घोषित ''अवार्ड'' के अधिकतम् 3 माह की अवधि में भारतीय जीवन बीमा निगम को सुनिश्चित किया जायेगा। सम्बन्धित जिलाधिकारी ही एल0आई0सी0 को लाभार्थियों तथा नामितों का विवरण उपलब्ध करायेंगे। वांछित धनराशि का भुगतान प्राप्त होने के अधिकतम 3 माह के अन्दर लाभार्थी को वार्षिकी का प्रथम भुगतान एल0आई0सी0 द्वारा ई.सी.एस.बैंक ट्रान्सफर द्वारा किया जायेगा। इसके उपरान्त प्रत्येक वर्ष निर्धारित बढोत्तरी के साथ वार्षिकी की धनराशि प्रथम वार्षिकी के भुगतान की तिथि तक किसान के बैंक खाते में एल0आई0सी0 द्वारा पहुॅचा दी जायेगी। एल0आई0सी0 द्वारा प्रत्येक लाभार्थी को योजना सम्बन्धी विस्तृत विवरण के साथ एक प्रमाण पत्र जारी किया जायेगा। लाभार्थी की मृत्यु होने की दशा में उसके द्वारा नामित व्यक्ति को वार्षिकी का भुगतान एल0आई0सी0 द्वारा किया जायेगा। लाभार्थियों से एल0आई0सी0 समस्त पत्राचारवार्तालाप हिन्दी भाषा में सुनिश्चित किया जायेगा। एल0आई0सी0 द्वारा एक टोल-फ्री नम्बर सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी, जिसमें वार्षिकी सम्बन्धी समस्त जानकारी हिन्दी भाषा में लाभार्थी को दी जायेगी। लाभार्थी एवं एल0आई0सी के मध्य किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने पर निस्तारण जिलाधिकारी द्वारा किया जायेगा तथा एल0आई0सी के कार्यो का प्रत्येक तिमाही शासन स्तर से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग कमेटी द्वारा अनुश्रवण भी किया जायेगा। लाभार्थियों को भुगतान में किसी प्रकार के विलम्ब के लिए भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा इन्श्योरेंस रेग्यूलेटरी डेवलपमेंट अथारिटी द्वारा निर्धारित दरों पर दण्ड ब्याज भुगतान किया जायेगा। देय वार्षिकी भुगतान व्यवस्था के सफल कार्यान्वयन हेतु राजस्व विभाग, सम्बन्धित प्रशासकीय विभाग और सम्बन्धित जिलाधिकारी उत्तरदायी होंगे जो भारतीय जीवन बीमा निगम से निरन्तर सम्पर्क बनाये रखेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार इस बात के लिए वचनबध्द है कि जिन किसानों की भूमि अधिग्रहीत की जाये, उनको सभी सम्भव लाभ दिये जांये और साथ ही ऐसे लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों के हित में सुविधाजनक प्रणाली उपलब्ध कराई जाये। इस नीति को लागू करने के लिए प्रदेश सरकार ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को 33साल तक दी जाने वाली वार्षिकी के सहज और समयबध्द वितरण का कार्य भारतीय जीवन बीमा निगम के माध्यम से कराने का फैसला किया है।
भारतीय जीवन बीमा निगम एक प्रतिष्ठित सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था है और इसका कार्यालय हर जनपद में मौजूद है। इक्का-दुक्का प्रयोगों को छोड़कर देश में पहली बार किसी राज्य में इस प्रकार की प्रदेश व्यापी व्यवस्था लागू की गयी है, जो किसानों को उच्च गुणवत्ता की सेवा लम्बे समय तक प्रदान करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही यदि इस व्यवस्था में किसी भी किसान को कोई कठिनाई अथवा शिकायत होती है, तो उसके निराकरण के लिए प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी के स्तर पर समस्या के समाधान के लिए भी व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गयी है।
भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के व्यापक हितों की दृष्टि से उन्हें अर्जित भूमि के बदले मुआवजा आदि दिये जाने के अतिरिक्त जीविकोपार्जन हेतु दीर्घकालिक साधन के रूप में राजस्व विभाग के शासनादेश दिनांक 03.09.2010 द्वारा प्रति एकड प्रतिवर्ष रूपये 20हजार (रूपये 600प्रतिवर्ष वृध्दि के साथ)तथा शासनादेश दिनांक 02.06.2010 द्वारा प्रति एकड प्रतिवर्ष रूपये 23 हजार (रूपये 800 प्रतिवर्ष वृध्दि के साथ) के अन्तर्गत ''वार्षिकी (एन्युटी)'' का भुगतान करने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है।
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