महोबा, 01 जुलाई। बैंक के कर्ज और
रिकवरी एजेंटों के आतंक से तंग आकर एक
दलित किसान ने यहां फांसी लगाकर आत्महत्या
कर ली। प्रशासन किसान की आत्महत्या को
कर्ज से जोडकर नहीं मान रहा है। हालांकि
किसान के परिवारीजन बता रहे हैं कि उसने
कर्ज से तंग आकर आत्महत्या की थी। जबकि
जिला प्रशासन ने बगैर पोस्टमार्टम के ही
उसका अंतिम संस्कार करा दिया।
जिला मुख्यालय के निकटवर्ती ग्राम
खिजहरी निवासी खज्जू (55) ने ट्रैक्टर के
लिए बैंक से लोन लिया था। वह लोन की किश्तें
समय पर अदा नहीं कर सका तो रिकवरी एजेंट
उसका ट्रैक्टर खींच कर ले गए तथा
ट्रैक्ट्रर को नीलाम कर दिया। इसके पहले
उसे मार्च में कर्ज न चुकाने पर आर.सी
काटकर पन्द्रह दिन के लिए जेल भेज दिया
था। इसके बाद उसका ट्रैक्टर भी निजी रिकवरी
एजेंट खींच ले गए तथा नीलाम कर दिया। इससे
दलित किसान की समाज में काफी बदनामी हुई।
इस कारण वह परेशान रहने लगा और उसने
आत्महत्या कर ली। जानकारी के अनुसार खज्जू
ने वर्ष 2006 में ट्रैक्टर के लिए भारतीय
स्टेट बैंक की महोबा शाखा से 2,41,177
रुपये कर्ज लिया था। इस किसान के पास पांच
एकड़ जमीन थी। कर्ज की किश्ते नहीं चुका
पाने पर उस पर रिकवरी एजेंटों ने जब दवाव
बनाया तो उसने अपनी चार बीघा जमीन बेच दी।
किन्तु फिर भी कर्ज चुकता नहीं हुआ। इस
जमीन से ही वह अपने परिवार का भरण पोषण
करता था। एसबीआई महोबा शाखा के अधिकारियों
ने बगैर नोटिस के उसका ट्रैक्टर एजेटों से
उठवा कर नीलाम करा दिया। जिला प्रशासन और
पुलिस के अधिकारियों ने मृतक के परिवार
वालों पर दबाव बनाकर बगैर पोस्टमार्टम के
ही उसका अतिम संस्कार करा दिया।
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