लखनऊ,
18 दिसम्बर
2019 । # UP Samachar Sewa भाजपा
विधायक नंद किशोर गुर्जर ने अपनी ही
सरकार को विधान सभा में आईना दिखा दिया।
उन्होंने विकास योजनाओं में
भ्रष्टाचार और कमीशन का मुद्दा
उठाया। उन्होंने प्रदेश में नौकरशाही
की कार्यशैली और उसके रवैये को लेकर
आज विधानसभा में जमकर अपनी भड़ास निकाली.
उन्होंने कहा कि अधिकारी नेताओं को
बेइमान समझते हैं, जबकि वह खुद
रिश्वतखोरी कर रहे हैं. यहां तक कि
विधायक निधि में भी कमीशन लिया जा रहा
है. गुर्जर ने कहा कि नेताओं की
सम्पत्ति की जांच तो कराई जाती है पर
इन अधिकारियों की भी सम्पत्ति की जांच
कराई जानी चाहिए.
मंगलवार को विधानसभा में लोनी विधानसभा
क्षेत्र से भाजपा विधायक नंद किशोर
गुर्जर #Nandkishore Gurjar को सदन
में अपनी बात न कह पाने के कारण सदन
की कार्यवाही अव्यवस्थिति हो गई
थी, लेकिन जब मंगलवार को उन्हे मिले
आश्वासन के बाद बुधवार को विधानसभा
सदस्य नंद किशोर गुर्जर ने अपनी पूरी
पीड़ा से सदन को अवगत कराया जिस पर
सत्ता पक्ष के साथ विपक्षी सदस्यों ने
मेजे थपथपाकर उनकी बात पर अपनी सहमति
जताई.
विधानसभा सदस्य गुर्जर ने कहा कि मेरी
विधानसभा के जिला प्रशासन ने एक साजिश
के तहत शासन को एक रिपोर्ट भेजी है,
जिसमें उन पर कई आपराधिक मुकदमें
दिखाई गए है. जबकि मेरे ऊपर केवल तीन
मुकदमे हैं जो जनान्दोलन के हैं।
गुर्जर ने कहा कि जो मुकदमें मेरे ऊपर
लगाए गए हैं वह सब झूठे मुकदमें हैं
जिनकी जांच करानी चाहिए.
गुर्जर ने कहा कि मुख्यमंत्री की
ईमानदारी के बावजूद पूरे प्रदेश में
अधिकारियों की कमीशनखोरी चल रही है।
ये बात अलग है कि पिछली सपा बसपा
सरकारों से योगी सरकार में कमीशनाजी
का प्रतिशत थोड़ा कम जरूर हुआ है। इसी
बात का विरोध करने पर मेरे खिलाफ
अधिकारी लामबंद हो रहे हैं. उन्होंने
कहा कि पिछली सरकार में जितना उत्पीड़न
नहीं हुआ उतना उत्पीड़न मेरा अपनी ही
सरकार में किया जा रहा है.
अपनी पूरी बात कहने के दौरान विधानसभा
सदस्य नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि
विधायक निधि में 18 से 22 प्रतिशत
कमीशन लिया जा रहा है। उन्होंने यह भी
कहा कि मेरी विधानसभा अपराधियों से भरी
पड़ी है और पूर्व विधायक के इशारे पर
अधिकारियों द्वारा मेरा उत्पीड़न किया
जा रहा है.
विधानसभा सदस्य की इस बात पर विपक्ष
ने सरकार से जवाब मांगा तो नेता सदन
के आसन पर विराजमान कैबिनेट मंत्री
स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा इस पर
पीठ अपना वक्तव्य देगी लेकिन विपक्ष
की मांग थी कि इसका जवाब सरकार को देना
चाहिए लेकिन जब सरकार के तरफ से कोई
संतोषजनक उत्तर नहीं मिला तो कांग्रेस
ने सदन का वाकआउट किया।
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