नई
दिल्ली,
17 दिसम्बर 2019 ।
Web News पाकिस्तान की एक विशेष अदालत
ने पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख
परवेज मुशर्रफ को फांसी की सजा सुनाई
है। मुशर्रफ पर राजद्रोह का आरोप है।
उन्हें पेशावर की स्पेशल अदालत ने
मंगलवार को फांसी की सजाई। उन पर लगे
राजद्रोह के मुकदमें की सुनवाई तीन
सदस्यीय पीठ ने पांच दिसम्बर को ही
पूरी कर ली थी। हालांकि इस फैसले पर
पाकिस्तान की सेना ने नाखुशी जाहिर की
है। सेना ने आधिकारिक रूप से
मुशर्रफ का बचाव किया है। कहा है कि
मुशर्रफ गद्दार नहीं है।
परवेज मुशर्रफ पर आरोप है कि
उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए वर्ष
2007 में देश में आपातकाल लगाया था।
उनके खिलाफ यह आरोप नवाज शरीफ की
सरकार ने वर्ष 2013 में दर्ज किया था।
इसकी लगातार सुनवाई चल रही थी।
मुशर्रफ आजकल बीमारी के चलते दुबई में
निर्वासित जीवन व्यतीत करते हुए अपना
इलाज करा रहे हैं। परवेज मुशर्रफ ने
1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज
शरीफ की सरकार को अपदस्थ करके सत्ता
पर कब्जा कर लिया था और स्वयं सैनिक
तानाशाह बन गए थे। इसके बाद पार्टी
बनाकर चुनाव लड़ा और राष्ट्रपति बने
थे। उनके कार्यकाल में ही पीपुल्स
पार्टी की नेता बेनजीर भुट्टो की हत्या
हो गई थी। इस हत्या में भी मुशर्ऱफ पर
आरोप लगे थे।
कारगिल युद्ध का दोषी
परवेज मुशर्रफ को कारगिल युद्ध का
मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है। उसने
सेना प्रमुख रहते हुए कारगिल में
घुसपैठ करा दी थी। इसके बाद भारत को
कारगिल से पाकिस्तानी सैनिकों को
खदेड़ने के लिए एक लघु युद्ध लड़ना पड़ा
था। आपरेशन विजय के नाम से किये गए
सैन्य आपरेशन में भारतीय सेना ने
पाकिस्तान के सैनिकों को खदेड़ कर
कारगिल की पहाडियों को फिर से
सुरक्षित कर दिया था। माना जाता है कि
कारगिल की साजिश जनरल मुशर्रफ ने अपने
प्रधानंमंत्री नवाज शरीफ को बताये
बगैर रची थी।
पाकिस्तानी सेना ने किया बचाव
पाकिस्तान की सेना ने अपने पूर्व जनरल
को गुनाहों की सजा मिलने के बाद उसका
बचाव किया है। सेना ने अपने आधिकारिक
ट्बीटर हैंडल से जारी बयान में कहा है
कि मुशर्रफ ने गद्दारी नहीं की है।
सेना ने उसकी सेवा की तारीफ की है।
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