लखनऊ,
17 दिसम्बर 2019 । (सर्वेश कुमार सिंह)
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के
विरोध में विपक्ष लामबंद हो गया।
विपक्ष ने सदन की कार्यवाही रोककर इस
पर चर्चा कराये जाने की मांग की। मांग
नहीं माने जाने पर सम्पूर्ण विपक्ष ने
सदन से बहिगर्मन कर दिया। इसके पहले
विपक्ष के हंगामे के चलते प्रश्नकाल
स्थगति रहा। उधर सरकार ने सदन में
जबाव देते हुए विपक्ष पर राजनीति करने
का आरोप लगाया। विधान सभा का शीतकालीन
सत्र मंगलवार को पूर्वान्ह ग्यारह बजे
जब शुरु हुआ तो नेता विरोधी दल
रामगोविन्द चौधरी ने प्रदेश में
नागारिकता कानून पर विरोध के चलते
छात्रों के उत्पीड़न का मामला उठा दिया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अलीगढ़
मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू
विश्वविद्यालय, नदवा कालेज में छात्रों
का पुलिस ने उत्पीड़न किया है। वे
जामिया में छात्रों पर लाठीचार्ज और
पुलिस के हमले के खिलाफ शांतिपूर्वक
प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन, पुलिस ने
विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर छात्रों
को पीटा। इसलिए सभी कार्यवाही को
रोककर इस मुद्दे पर चर्चा करायी जाए।
उन्होंने यह भी मांग की कि प्रदेश
विधान सभा नागरिकता संशोधन कानून पर
प्रस्ताव पारित करे तथा केन्द्र सरकार
से मांग करे कि इस कानून को वापल लिया
जाए।
उधर बहुजन समाज पार्टी ने भी समाजवादी
पार्टी के सुर में सुर मिलाया।
इन्होंने भी कहा कि छात्रों का प्रदेश
में उत्पीड़न हुआ है। छात्र
शांतिपूर्वक आन्दोलन कर रहे थे। पुलिस
ने अकारण पीटा है। बसपा के नेता लालजी
वर्मा ने अध्यक्ष से नियम 56 का नोटिस
देकर चर्चा की मांग की। कांग्रेस की
सदन में नेता अनुराधा मिश्रा ने भी
नागरिकता संशोधन कानून पर सरकार को
घेरा। इन्होंने कहा कि सरकार छात्रों
का उत्पीड़न कर रही है। नागरिकता
संशोधन कानून संविधान की मूल आत्मा का
विरोधी है। इसमें अनुच्छेद 14,15 और
21 का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा
कि सरकार को बेटियों की चीख सुनाई नहीं
दे रही है। इन्होंने भी विधान सभा से
प्रस्ताव पारित करके केन्द्र को भेजने
की मांग की।
सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री
सुरेश खन्ना ने विपक्ष की मांग का
विरोध किया। उन्होंने कहा कि
केन्द्रीय कानून के खिलाफ कोई
प्रस्ताव पारित करना औचित्यहीन है। इस
तरह के प्रस्ताव की कोई आवश्यकता नहीं
है। उन्होंने विधान सभा में नागरिकता
संशोधन कानून पर चर्चा को गैर जरूरी
तथा नियमविरुध्द बताया। उन्होंने कहा
कि केन्द् के विषय पर विधान सभा में
चर्चा हो ही नहीं सकती। श्री खन्ना ने
अलीगढ़ की घटना का विस्तार से सदन में
ब्यौरा प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा
कि छात्रों ने एक राय होकर पुलिस पर
हमला किया। छात्र तमंचों और अन्य
हथियारों से लैश थे। छात्रों ने पुलिस
पर फायरिंग की। इसे कई पुलिसकर्मी
घायल हुए। उन्होंने कहा कि 26 उपद्रवी
छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया
है।
विधान सभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित
ने विपक्ष की मांग पर कहा कि संविधान
की अनुसूची सात में स्पष्ट है कि किन
विषयों की चर्चा राज्य की विधान सभा
में हो सकती है। यह विषय नागरिकता से
समम्बन्धित है। इसलिए इसकों न तो
विधान सभा में उठाया जा सकता है और न
ही इस पर किसी तरह की चर्चा हो सकती
है। अध्यक्ष की व्यवस्था से क्षुब्ध
होकर सपा, बसपा और काग्रेस तीनों के
सदस्यों ने अलग अलग सदन से बहिगर्मन
कर दिया।
हंगामे की भेंट चढ़ा प्रश्नकाल
शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन का
प्रश्न काल विपक्ष के हंगामे की भेंट
चढ़ गया। सपा के सदस्यों ने नागरिकता
कानून पर सत्र शुरु होते ही हंगामा कर
दिया। सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल
में आ गए। सपा सदस्य हाथों में नारे
लिखी तख्तियां लिये हुए थे। प्लेकार्ड
और नारे लिकी तख्तियां वेल में दिखाने
पर अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने
आपत्ति की। लेकिन, सदस्य नहीं माने।उधर
नेता विरोधी दल भी नागरिकता कानून पर
सरकार के विरोध में बोलते रहे।
उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14
के खिलाफ बताया। हंगामे के दौरान बसपा
के सदस्य अपनी सीटों पर ही खड़े रहे।
लेकिन, कांग्रेस के सदस्यों ने सपा का
साथ दिया। सपा के हंगामे को देखते हुए
पांच मिनट बाद ही अध्यक्ष श्री
दीक्षित ने विधान सभा की कार्यवाही आधे
घण्टे के लिए स्थगित कर दी। इस स्थगन
को बाद में प्रश्नकाल की समाप्ति यानि
12 बजकर 20 मिनट तक के लिए बढ़ा दिया।
हालांकि आज विधान सभा में कई
महत्वपूर्ण प्रश्न लगे थे। इन पर चर्चा
होनी थी। लेकिन विपक्ष ने चर्चा नहीं
होने दी। इससे जनहित के कई मुद्दे
बगैर चर्चा के ही रह गए।
चार हजार दो सौ दस करोड़ की अनुदान
मांगे पेश
विधान सभा में मंगलवार को सरकार ने
आगामी खर्चों के लिए 4210 करोड़ 85
लाख की अनुदान मांगे पेश कीं। अनुदान
मांगों का प्रस्ताव सदन में वित्त एवं
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने
प्रस्तुत किया। सदन इन मांगों पर दिन
विचार करेगा। इसके बाद बीस दिसम्बर को
इन्हें पारित किया जाएगा। अनुदान मांगें
प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री सुरेश
खन्ना ने अनुदान मांगों की आवश्यकता
बतायी। अनुदान मांग पुस्तिका के
अनुसार आकस्मिकता निधि से व्यय की
प्रतिपूर्ति तथा अन्य मदों के खर्चों
के लिए सरकार को अनुदान मांगें
प्रस्तुत करनी पड़ रही हैं। इसमें से
कृषि, ऊर्जा, महिला कल्याण आदि पर
व्यय किया जाएगा।
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