|
|
|
|
|
|
|
|
Election 2017: सफलता
के लिए भाजपा अति पिछड़ों को विश्वास में लेः लौटन
राम
|
Tags: BJP, Lautanram
Nishad, Most Back word class |
Publised on : 02 December 2016, Last
updated Time 19:40 |
लखनऊ,
02 दिसम्बर 2016 (उ.प्र.समाचार सेवा)।
राष्ट्रीय निषाद संघ (एन0ए0एफ0) के राष्ट्रीय सचिव चौ0
लौटन राम निषाद ने यहां जारी अपने बयान में कहा कि सपा
व बसपा की राजनीति जहां मुसलमानों के भरोसे हैं तो
भाजपा की अतिपिछड़ांे पर आधारित है। उ0प्र0 के जातिगत
समीकरण में यादव लगभग 9 प्रतिशत, जाटव 11.46 प्रतिशत व
मुसलमान 19.43 प्रतिशत यानी लगभग 40 प्रतिशत मत किसी
भी हाल में भाजपा को नहीं मिल सकते। यादव सपा का तो
जाटव बसपा का परम्परागत वोट बैंक है और मुसलमान उसी दल
को वोट देता है जो भाजपा को हराने की स्थिति में रहता
है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए 60
प्रतिशत सवर्ण व गैर यादव व गैर जाटव पिछड़े वर्ग व
दलित वर्ग के वोट बैंक में से 32 प्रतिशत वोट प्राप्त
करना होगा। भाजपा की राजनीति पूरी तरह से अतिपिछड़ों
के ऊपर ही आधारित है।
श्री निषाद ने कहा कि भाजपा का उत्तर प्रदेश में सरकार
बनाने का अति विश्वास उसके लिए अतिपिछड़ों को विश्वास
में लिये बिना मृगमरीचिका ही साबित होगी। उत्तर प्रदेश
के विधान सभा चुनाव 2002 में सपा को 25.30 प्रतिशत,
बसपा को 23.66 प्रतिशत, भाजपा को 20.13 प्रतिशत व
कांग्रेस केा 9.96 प्रतिशत, विधान सभा चुनाव 2007 में
सपा को 25.47 प्रतिशत, बसपा को 30.43 प्रतिशत, भाजपा
को 16.53 प्रतिशत व कांग्रेस को 8.61 प्रतिशत तथा
विधान सभा चुनाव 2012 में सपा को 29.13 प्रतिशत, बसपा
को 25.91 प्रतिशत, भाजपा 15.17 प्रतिशत व कांग्रेस को
11.65 प्रतिशत मत मिला था। लोक सभा चुनाव 2014 में सपा
को 22.6 प्रतिशत, बसपा को 19.95 प्रतिशत व भाजपा को
42.3 प्रतिशत मत मिला था। उ0प्र0 में तीन बार से सत्ता
का हस्तान्तरण अतिपिछड़ी जातियों के मानसिकता में
बदलाव से ही होता रहा है और विधान सभा चुनाव 2017 में
भी अतिपिछड़ी जातियां ही उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने
में निर्णायक की भूमिका निभायेंगी।
श्री निषाद ने बताया कि उत्तर प्रदेश जातिगत समीकरण
में यादव-8.60 प्रतिशत, कुर्मी-4.10 प्रतिशत, जाट-
1.65 प्रतिशत, गूजर-1.05, काछी/कोयरी-4.85 प्रतिशत,
लोधी/किसान-3.60 प्रतिशत, निषाद/कश्यप/बिन्द-10.25
प्रतिशत, गड़ेरिया-2.90, कुम्हार-1.05, नोनिया-1.05,
राजभर-1.10, तेली-1.60 प्रतिशत, बढ़ई /लोहार-1.75,
नाई-0.35, कानू/भुर्जी-0.80 प्रतिशत, कलवार-0.45,
बरई-0.30 प्रतिशत तथा बंजारा, नायक, अर्क, बारी, जोगी,
सोनार, गोसाई, ठठेरा, कसेरा आदि 1.35 प्रतिशत हैं।
अनुसूचित जातियों में चमार/जाटव-11.46 प्रतिशत,
पासी-3.27, धोबी-1.34 प्रतिशत, कोरी-1.11 प्रतिशत,
वाल्मीकि-0.61 प्रतिशत, खटिक-0.38 प्रतिशत, धानुक-0.32
प्रतिशत, गोड़-0.22, कोल-0.23 प्रतिशत तथा 57 अन्य
एस0सी0 जातियां 1.60 प्रतिशत व अनुसूचित जनजातियां
0.57 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि विधान सभा
चुनाव-2017 में भाजपा ने अतिपिछड़ांे व अतिदलितों को
टिकट वितरण में सहीं ढंग की भागीदारी व राजनीतिक
सम्मान नहीं दिया तो उसकी स्थिति बिहार की ही तरह होगी।
|
|
|
News
source: UP Samachar Sewa |
News & Article:
Comments on this
upsamacharsewa@gmail.com
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|