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रूस में गीता पर प्रतिबंध की मांग खारिज
Appeal dismissed in Russia to ban Bhagvad Gita
-यू.पी.समाचार सेवा-
Tags: ISKAN, Hare Krishna Mission, Srimadbhagvad Gita, Swami Prabhupad

Publised on : 28  December  2011       Time 23:19    

नई दिल्ली, 28 दिसम्बर। (उप्रससे)। रूस की अदालत ने गीता पर प्रतिबंध लाने की मांग को खारिज कर दिया है। साइबेरिया के टोमस्क जिले के ईसाई आर्थोडोक्स चर्च से जुड़े एक संगठन ने गीता को चरमपंथी विचारधारा वाला ग्रंथ बताते हुए इस पर प्रतिबंध की मांग की थी। ज्ञातव्य है कि गीता के जिस संक्रण पर प्रतिबंध की मांग की गई है। उसमें श्लोकों का विश्लेषण इस्कान के स्वामी प्रभुपाद ने किया है। उन्होंने कृष्ण के उपदेश के साथ अपनी टिप्पणियां भी की हैं। ईसाई संगठन ने दलील दी थी कि इन टिप्पणियों में दूसरे धर्मों के लिए बैर सिखाया गया है। इसलिए इसे उन प्रतिबंधित पुस्तकों सूची में डाल देना चाहिये जो रूस में प्रतिबंधित हैं। हिटलर की आत्मकथा 'माइन काम्प्फ' समेत रूस में करीब एक हजार किताबों पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

इस्कॉन यानी "हरे कृष्ण मिशन"  टोम्स्क जिले में इस्कॉन मंदिर और 'हरे कृष्ण विलेज' बनाना चाहता था. लेकिन उसे इसकी इजाजत नहीं मिली. इसके बाद से टोम्स्क में स्थानीय लोगों और कृष्ण भगतों में मतभेद शुरू हो गए. इसी के चलते गीता को 'चरमपंथी' करार देने की मांग भी उठी. गीता के लिए लड़ने वाले वकील एलेकजेंडर शकोव ने इस बारे में कहा, "अदालत का फैसला दिखाता है कि रूस अब सही मायनों में लोकतांत्रिक समाज बन रहा है. हम इस जीत को लेकर बेहद खुश है." वहीं रूस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह बात साफ की कि अदालत को भागवत गीता पर नहीं, बल्कि इस्कॉन के संस्करण में लिखी गई टिप्पणियों पर फैसला सुनाना था, "मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि यह भागवत गीता के बारे में नहीं है. वह तो एक धार्मिक और आध्यात्मिक कविता है जो भारत के महाकाव्य महाभारत का हिस्सा है और जो भारत के पौराणिक साहित्य के सबसे विख्यात लेखों में से एक है."

अदालत ने इस सिलसिले में रूस में भारत के जानकारों से सलाह ली. यह फैसला पहले 19 दिसंबर को आना था. फिर इसे 28 तारीख तक के लिए टाल दिया गया. इन दस दिनों में भारत में इस मुकदमे को ले कर काफी हंगामा हुआ. बीजेपी ने अपने एक दल को रूसी अधिकारियों से बात करने भेजा और राष्ट्रपति मेद्वेदेव के लिए गीता का एक संकरण भी भेजा.साथ ही इस बात पर भी सफाई मांगी गई कि इतने लम्बे समय तक इस मुकदमे को चलने कैसे दिया गया. भारत में रूस के राजदूत ने भी इस मुकदमे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि किसी भी धार्मिक ग्रन्थ का अदालत तक पहुंचना 'बेहूदा' है. रूस में पिछले 25 साल से गीता के संस्करण उपलब्ध हैं, लेकिन अब तक कभी इस तरह का कोई मामला सामने नहीं आया था.

News source:    U.P.Samachar Sewa

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