लखनऊ , 12 अगस्त। (उप्रससे)।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष
सूर्यप्रताप शाही ने प्रदेश के चुनाव समिति
एवं चुनाव प्रबन्धन तथा समन्वय समिति की
आज घोषणा की है।चुनाव समिति में प्रदेश
अध्यक्ष सहित 15 सदस्य तथा 10 विशेष
आमंत्रित सदस्य नामित किए गए हैं। प्रदेश
अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही चुनाव समिति के
अध्यक्ष होंगे। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं
चुनाव अभियान समिति के संयोजक कलराज मिश्र,
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय कटियार,
विधानमंडल दल के नेता ओमप्रकाश सिंह,
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केसरीनाथ त्रिपाठी,
डा0 रमापति राम त्रिपाठी, वरिष्ठ नेता एवं
सांसद लाल जी टण्डन, महामंत्री संगठन
राकेश जैन, उपनेता भाजपा विधान मण्डल दल
हुकुम ंसिंह, नेता विधान परिषद डा0 नेपाल
सिंह, महिला मोर्चा अध्यक्ष डा0 मधु मिश्रा,
प्रदेश उपाध्यक्ष रमापति शास्त्री, विधायक
राजेश अग्रवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष
शिवप्रताप शुक्ल एवं स्वतंत्र देव सिंह
समिति के सदस्य होंगे।
चुनाव समिति में विशेष आमंत्रित सदस्य के
रूप में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद
मुख्तार अब्बास नकवी, राष्ट्रीय सचिव
संतोष गंगवार, अशोक प्रधान तथा वरूण गांधी
के अतिरिक्त सभी प्रदेश महामंत्री
विन्ध्यवासिनी कुमार, नरेन्द्र ंसिह,
प्रेमलता कटियार, रामनरेश अग्निहोत्री,
डा0 महेन्द्र पाण्डेय तथा विनोद पाण्डेय
सदस्य नामित किए गए हैं। प्रदेश चुनाव
समिति के अतिरिक्त श्री शाही ने प्रदेश के
चुनाव प्रबन्धन तथा समन्वय समिति की भी
घोषणा की है। चुनाव प्रबन्धन समिति के
संयोजक के तौर पर श्यामनन्दन सिंह को
नियुक्त किया गया है तथा प्रशान्त अरोड़ा,
डा0 रमापति राम त्रिपाठी, डा0 दिनेश शर्मा,
राजेन्द्र तिवारी तथा राम कुमार शुक्ल
समिति के सदस्य नामित किए गए हैं।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद मुख्तार
अब्बास नकवी चुनाव प्रबन्धन के समन्वय और
विशेष देख रेख का कार्य देखगें।
संशोधन विधेयक के खिलाफ भाजपा ने रायपाल
को ज्ञापन दिया
लखनऊ, 12 अगस्त। (उप्रससे)। प्रदेश सरकार
द्वारा ''उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास
(संशोधन) विधेयक, 2011 पूर्णत: अव्यवस्थित
सदन में शोर शराबे के बीच बिना चर्चा के
ध्वनि मत से पारित कराए जाने के खिलाफ
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष
सूर्य प्रताप शाही के नेतृत्व में
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र, प्रदेश
उपाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह सिरोही, केदार
नाथ सिंह और प्रदेश महामंत्री विनोद
पाण्डेय सहित पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल
ने आज सायं 05 बजे महामहिम राज्यपाल से
मिलकर ज्ञापन दिया और महामहिम राज्यपाल से
सादर अनुरोध है कि ऐसे जनविरोधी तथा किसान
विरोधी विधेयक को वह अपनी स्वीकृति प्रदान
न करें।
प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में दिए गए
ज्ञापन में अनुरोध किया गया है कि उक्त
विधेयक ने उत्तर प्रदेश नगर योजना और
विकास अधिनियम 1973 में संशोधन किया है।
1973 के उक्त अधिनियम के धारा इस प्रकार
हैं-''यदि राज्य सरकार की राय में कोई भूमि
इस अधिनियम के अधीन विकास के प्रयोजन के
लिए या किसी अन्य प्रयोजन के लिए अपेक्षित
है तो राज्य सरकार ऐसी भूमि का भूमि अर्जन
अधिनियम, 1994 के उपबन्धों के अधीन अर्जन
कर सकेगी : परन्तु कोई भी व्यक्ति जिससे
कोई भूमि इस प्रकार अर्जित की गई हो, ऐसे
अर्जन की तारीख से पांच वर्ष की अवधि की
समाप्ति के पश्चात् राज्य सरकार से उस भूमि
को उसको वापस दिये जाने के लिए इस आधार पर
आवेदन कर सकेगा कि वह भूमि उस अवधि के
दौरान उस प्रयोजन के लिए प्रयुक्त नहीं की
गयी है जिसके लिए वह अर्जित की गई थी और
यदि इस बावत् राज्य सरकार का समाधान हो
जाय तो वह उन प्रभारों के, जो अर्जन के
संबंध में उपगत किये गये थे, बारह प्रतिशत
प्रतिवर्ष की दर से ब्याज सहित तथा ऐसे
विकास प्रभारों के, यदि कोई हो, जैसे
अर्जन के पश्चात् उपगत किये गये हों, पुन:
संदाय किये जाने पर उस भूमि को वापस देने
का आदेश देगी।''
वर्तमान सरकार ने उक्त अधिनियम की धारा-17
की उपधार (1) का ''परन्तुक'' निकाल दिया
और उसे सदैव के लिए निकाला समझा जाय ऐसा
जोड़ दिया है। इसका परिणाम यह होगा कि
सरकार द्वारा किसी विशेष उद्देश्य के लिए
जो भूमि अर्जित की गयी थी भले ही उक्त
उद्देश्य के हेतु उपयोग में न लिया गया हो
और खाली पडी हो तो भी किसान को अपनी भूमि
वापस लेने का अधिकार नहीं होगा। विभिन्न
एजेंसियों द्वारा उत्तर प्रदेश के किसानों
की हजारों एकड भूमि अर्जित की हुई है जो
उद्योग या आवासीय योजनाओं के उद्देश्य से
की गयी थी। परन्तु उक्त भूमि पर कोई कार्य
नहीं हुआ और 20-20 साल से खाली पडी हुई
है। उक्त भूमि के मौलिक मालिक तथा किसान
इसी आधार पर न्यायालय में गये हुए हैं कि
जब 5 वर्ष से अधिक समय से अर्जित भूमि का
उपयोग नहीं हुआ तो भूमि किसानों को वापस
की जाय। न्यायालयों ने जो टिप्पणियां की
हैं वह सकारात्मक हैं और इस बात की पूर्ण
उम्मीद है कि इस प्रकार की भूमि किसानों
को वापस होंगी। केन्द्र सरकार ने जो भूमि
अधिग्रहण का नया प्रस्ताव विधेयक के रूप
में तैयार किया है। चर्चा है कि उसमें भी
यह प्राविधान किया गया है कि अर्जित भूमि
यदि अर्जन के उद्देश्य के अनुरूप उपयोग
में नहीं लाई जाती और 5 साल तक उसका उपयोग
नहीं होता है तो किसान उक्त भूमि को वापस
लेने के हकदार होंगे तथा संबंधित सरकार को
इस अवधि का ब्याज भी कृषकों को देना होगा।
भाजपा का मानना है कि ऐसे महत्वपूर्ण
विधेयक जिसमें करोड़ों किसानों और उनके
परिवार का हित निहित है विधान सभा में बिना
चर्चा और बहस कराये पास कराया जाना पूर्णत:
अलोकतांत्रिक है।
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