विश्व संवाद केन्द्र पर अधीश स्मृति
व्याख्यान
लखनऊ,
29 अगस्त। (उप्रससे)। लोकपाल बिल की मांग
के लिए हुए अन्ना हजारे के आन्दोलन में
देश के नव मध्यम वर्ग ने सक्रिय भागीदारी
की। यह वर्ग देश में आर्थिक असमानता और
सरकारी नीतयिों के कारण उभर कर सामने आया
है। इस वर्ग की सक्रिय भागीदारी से ही
अन्ना हजारे के आन्दोलन को भारी सफलता मिली।
इस वर्ग की ताकत ने ही देश की जनता के
गुस्से को एक आन्दोलन में बदल दिया। ये
विचार देश के जाने माने चिंतक और इण्डिया
पालिसी फाउण्डेशन के निदेशक प्रो.राकेश
सिंहा ने आज यहां व्यक्त किये। प्रो. सिंहा
विश्व संवाद केन्द्र पर आयोजित तीसरे अधीश
स्मृति व्याख्यान में मुख्य अतिथि के रूप
में विचार व्यक्त कर रहे थे।
प्रो.सिंहा ने विधायिका और
जनआन्दोलन विषयक व्याख्यान में विचार
व्यक्त करते हुए संसद और सांसदो की भूमिका
का चित्रण करते हुए क हा कि आज हमारे
सांसदों की कुल सम्पत्ति 28 अरब रूपये है।
सांसदों की आय में प्रतिवर्ष कई गुना
वृध्दि हो रही है। इस आय वृद्दि में
कांग्रेस,भाजपा और अन्य सभी दलों के सांसद
शामिल है। उन्होंने बताया कि संसद में सौ
से अधिक सांसद वंशवाद के कारण राजनीति में
है और वे संसद सदस्य हैं। हमारी संसद और
राजनीति वंशवाद की प्रतीक बन गई है।
उन्होंने सांसदों की कुल सम्पत्ति का
उल्लेख करते हुए बताया कि एक करोड रूपये
की हैसियत वाले सांसदों की संख्या भी सौ
से अधिक है। प्रो सिंहा ने कहा कि हमारे
जनप्रतिनिधियों की बढ़ रही सम्पत्ति और उनके
कार्यों के कारण जनता का विश्वास देश के
राजनीतिज्ञों से उठ गया है।
प्रो. सिंहा ने अपने
व्याख्यान में हाल ही में हुए अन्ना हजारे
के आन्दोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह
आन्दोलन संसद के साथ टकराव नहीं था। इसे
कुछ लोगों ने संसद के साथ टकराव के रूप
में देखा। वस्तुत: यह तो संसद पर एक
सामाजिक नैतिक दबाव था। उन्होंने कहा कि
आन्दोलन ने एक नये मध्यम वर्ग को आवाज दी।
यह वह वर्ग था जोकि विदेशी और विस्तारवादी
सोच के तहत देश में लागू की गई आर्थिक
नीातियों के कारण जन्मा है। क्योंकि अभी
तक जो मध्यम वर्ग था उसे सरकार ने छठा
वेतन आयोग देकर इतना अधिक संतृप्त कर दिया
कि वह अब कि सी आन्दोलन के बारे में नहीं
सोचता है।
उन्होंने कहा कि हमें छठे वेतन आयोग से
इतना मिला जिसकी हमें अपेक्षा भी नहीं थी
और न ही हम उतना प्राप्त करने के लिए
तैयार थे। छठे वेतन आयोग के रूप में वेतन
वृध्दि विदेशी सोच से प्रभावित लोगों ने
की। ताकि हमारे यहां समाजिक टकराव पैदा हो
और देश अराजकता की ओर चला जाए। यही वजह रही
कि अन्ना हजारे के आन्दोलन में वह वर्ग
गायब जिसे हम कभी मध्यम वर्ग के नाम से
जानते थे। उस वर्ग की जगह अब नव मध्यम
वर्ग ने ले ली जोकि छठे वेतन आयोग से
आर्थिक वृध्दि और उन्नति से वंचित था। यही
वर्ग सबसे यादा व्यवस्था से त्रस्त है। इस
नव मध्यम वर्ग ने आन्दोलन में अग्रणी
भूमिका निर्वाह किया।
उन्होंने कहा कि महंगाई. बेरोजगारी.
भ्रष्टाचार, अराजकता से त्रस्त जनता को
अन्ना हजारे के रूप में एक आवाज मिली और
यही आवाज सशक्त आन्दोलन के रूप में
परिवर्तित हो गई। इस वर्ग में बड़ी संख्या
में युवा वर्ग शामिल था। इसी वर्ग की आवाज
के सामने सरकार को झुकना पड़ा है। यह
लोकतंत्र के लिए शुभ लक्षण है। उन्होंने
कहा कि आजादी के बाद पहली बार देश में
वंदेमातरम् और भारत माता की जय के नारे लगे।
लोगों के हाथ में पहली बार तिरंगा लहराया।
इस आन्दोलन ने साबित कर दिया कि देश में
लोकतंत्र का भविष्य उवल है।
व्याख्यान कार्यक्रम की
अध्यक्षता कर रहे पूर्व जिला जज
वी.बी.सिंह ने कहा कि हमारा संविधान विदेशी
सोच पर आधारित है। संविधान में भारतीय
राजनीतिक सोच का अभाव है। जबकि हमारे यहां
यूरोप से हजारों साल पहले से विकसित और
उन्नत राजनीतिक सोच थी। उन्होंने कहा कि
हमारे देश के संविधान को इण्डिया मानकर
बनाया गया है। जबकि हम भारत हैं। हमारी
भारतीय सोच का उसमे पूरी तरह अभाव है।
कार्यक्रम में विश्व संवाद केन्द्र
पत्रकारिता और जनसंचार संस्थान के निदेशक
अशोक सिंहा ने अथिथियों का स्वागत किया तथा
पंकज अग्रवाल ने संचालन किया। कार्यक्रम
में भारी संख्या में राजधानी के नागरिक
उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य
अतिथि प्रो.राकेश सिंहा ने स्व.अधीश कुमार
के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रवलित
कर किया। |