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आईवीआरआई में पशुओं के वैक्सीन की बजाय बन रहे हैं कुत्तों के बिस्कुट
आईसीएआर के डीजी डा.एस.आय्यापन ने किया निरीक्षण, दिये वैक्सीन बनाने के निर्देश
-रेनू सिंह-
Tags:  Indian Veterinary Research Institute (IVRI), Indian Council of Agricultural Research (ICAR)
Publised on : 2011:08:23       Time 19:44                               Update on  : 2011:08:23      Time 19:44
बरेली: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. एस आय्यपन ने स्वीकार किया कि भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली में कुत्तों के बिस्किट बनाने में ज्यादा जोर दिया जा रहा है। यहां पर पशु चिकित्सा में कम और डेयरी पर ज्यादा रिसर्च हो रही है लेकिन वैक्सीन नहीं बन रही। डा. एस आय्यपन कहा कि अब डेयरी पर कम और पशुओं को बीमारियों से मुक्त कराने की वैक्सीन बनाने पर ज्यादा रिसर्च होगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. एस आय्यपन यहां निरीक्षण करने आए थे। उन्होंने हाई सिक्योरिटी लैब का भी जायजा लिया। सुबह आईवीआरआई पहुंचे डा. अय्यपन ने पहले डेयरी सेक्शन का निरीक्षण किया। इसके बाद वह बायोलाजिकल प्रोडक्ट डिवीजन पहुंचे। यहां हाई सिक्योरिटी लैब बनाई जा रही है। कुछ देर तक इसका मुआयना किया जहां कमियां भी मिली। उसे ठीक कराने के लिए डायरेक्टर को सुझाव दिए। इसके बाद रैबिट(चूहा) सेक्शन की व्यवस्थाएं देखीं। दरअसल कुछ दिन पहले क्वार्टली रीवैलुएशन टीम (क्यूआरटी) आई थी। उसने कहा था कि यहां पर पशु चिकित्सा में कम और डेयरी पर ज्यादा रिसर्च हो रही है। कुत्तों के बिस्किट बन रहे हैं, लेकिन वैक्सीन नहीं बन रही। पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान होने के सबब वैक्सीन या दवाएं बननी चाहिए। डेयरी का काम एनडीआरआई करनाल को करना है। वह टीम पहले भी ऐसा सुझाव दे चुकी थी। उसी के सुझाव पर पशुओं को करनाल भेजने की योजना बनी, लेकिन उन्होंने लेने से इंकार कर दिया। वैक्सीन पर रिसर्च को यहां हाई सिक्यूरिटी लैब बनायी जा रही है। रिसर्च के लिए चूहों का भी इंतजाम हो गया है। इसका निरीक्षण करने के बाद डा. अय्यपन ने कहा कि अब वैक्सीन पर ज्यादा रिसर्च की जाएगी। 12 वीं पंचवर्षीय योजना के रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों के सुझाव मांगे गए हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों, तकनीकी स्टाफ और अन्य कर्मचारियों के साथ अलग-अलग मीटिंग की। इसी दौरान रिसर्च में सहयोग करने वाली तकनीक हाईब्रीडोमा क्लोन का व्यवसायीकरण किया गया। इस तकनीक को इंटरवेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने लिया है। इस अवसर पर एडीजी डा. केएमएल पाठक, डीडीजी डा. अरविंद कुमार, डायरेक्टर डा. एमसी शर्मा, डा. त्रिवेणी दत्त, डा. पुनीत कुमार, डा. आरपी सिंह आदि थे। एसएमएस से बताएं खेती के तरीके- डीजी डा. एस अय्यपन ने बताया कि क्लाइमेट चेंज का असर अब फसलों पर पड़ने लगा है। इसलिए किसानों को मौसम के अनुसार फसल लगाने के लिए एसएमएस सेवा शुरू की गई है। आईसीएआर ने यह सेवा सबसे पहले तमिलनाडु से शुरू की थी। देश के अन्य भागों में भी प्रदेश सरकारों के सहयोग ये सेवा शुरू करने की योजना है।

समाचार स्रोतः रेनू सिंह, संवाददाता उत्तर प्रदेश समाचार सेवा, Renu Singh, Correspondent Uttar Pradesh Samachar Sewa

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