कार्पोरेट हत्या की
शिकार
हुई शेहला मसूद !
भोपाल, 20 अगस्त। (अनिल सौमित्र) Bhopal,
August 20, 2011. (Anil Saumitra)चर्चित
आरटीआई एक्टीविस्ट शेहला मसूद मामले में
जाँच की दिशा लगभग तय हो चुकी है। शुरुआती
जाँच में मिले आत्महत्या के कुछेक संकेतों
को अब दरकिनार कर दिया गया है। पुलिस इसे
हत्या का प्रकरण मानकर ही जाँच करेगी।
मध्यप्रदेश में नेता प्रतिपक्ष राहुल सिंह
और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम
रमेश ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया
है। कांग्रेस ने इस हत्याकांड को राजनैतिक
तूल देने की भी कोशिश की है। मामला और
अधिक तूल पकड़े इसके पहले ही मध्यप्रदेश के
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीबीआई
जाँच की मांग पर अपनी सहमति जता दी है।
राज्य पुलिस ने इसके लिए जरूरी औपचारिकताओं
पर काम करना शुरु कर दिया है। मुख्यमंत्री
ने पहले ही यह जता दिया था कि पुलिस को
अगर हत्यारों और हत्या के कारणों का पता
लगाने में देरी लगती है तो जाँच सीबीआई के
हवाले कर दिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा
था कि आरोपी चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो
उसे छोड़ा नहीं जायेगा। प्रदेश के गृहमंत्री
उमाशंकर गुप्ता के अनुसार सीबीआई द्वारा
जाँच शुरु करने तक भोपाल पुलिस अपनी
जाँच-पड़ताल जारी रखेगी।
इतना तय होने के बाद भी कि शेहला की हत्या
हुई, पुलिस और सीबीआई के लिए कुछ अहम सवाल
होंगे। सवाल यह है कि शेहला की हत्या
राजनैतिक है, आर्थिक है या फिर कार्पोरेट!
थोड़ी चुप्पी के बाद अब घर के लोगों ने
पुलिस को कुछ-कुछ बताना शुरु कर दिया है।
शेहला के पिता मसूद सुल्तान ने पुलिस को
बताया कि कुछ दिन पूर्व एक बड़े नेता से
शेहला की गर्मा-गरम बहस हुई थी। उन्होंने
एक पुलिस अधिकारी से भी शेहला के
तनावपूर्ण संबंध को स्वीकार किया।
उल्लेखनीय है कि 2010 में शेहला ने
तत्कालीन संस्कृति संचालक पवन श्रीवास्तव
के खिलाफ आरटीआई के तहत कुछ जानकारियां
मांगी थी और उनके खिलाफ जाँच की मांग की
थी।
चूंकि मामला हाई प्रोफाइल है इसलिए कई
नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं। गौरतलब
है कि शेहला मसूद की निकटता कई राजनेताओं
से थी। शेहला ने संपर्कों और निकटता का
लाभ उठाने में कभी गुरेज नहीं किया। लंबे
अरसे से वे राजधानी के अत्यन्त व्यस्त
इलाके महाराणा प्रताप नगर (एमपी नगर) में
‘‘मिरेकल’’ नाम से इवेंट मैनेजमेंट कंपनी
चलाती थी। 2008 के विधानसभा चुनाव में भी
उन्होंने काफी काम किया था। फैशन-शो,
संगीत और ऐसे ही कई अनेक कार्यक्रम मिरेकल
कंपनी करती रही है। इवेंट कंपनी चलाने वाली
एक अन्य महिला नेता के साथ भी शेहला की
प्रतिस्पर्द्धा थी।
लेकिन इधर कुछ समय से शेहला मसूद ने इवेंट
मैनेजमेंट की बजाए एनजीओ ‘उदय’ के काम पर
ध्यान केन्द्रित कर रखा था। वे आरटीआई
संबंधी गतिविधियों में ही ज्यादा समय देने
लगी थी। मध्यप्रदेश में बाघों के संरक्षण,
पर्यावरण और खदान माफिया संबंधी सूचनाएं
प्राप्त करना उनका मुख्य काम हो गया था।
पिछले कुछ महीनों से अन्ना हजारे जन
लोकपाल आंदोलन में भी वे भागीदार थी।
पुलिस शेहला के आर्थिक स्रोतों की भी
पड़ताल कर रही है। इस दरम्यान पुलिस मसूद
के सभी देशी-विदेशी संपर्कों की भी पुख्ता
छानबीन करेगी।
जाँच का सबसे अहम पहलू आरटीआई संबंधी
जानकारियां हैं। शेहला ने अपनी संस्था उदय
के जरिए सूचना अधिकार कानून के तहत लगभग
139 आवेदन विभिन्न विभागों में लगा रखे
थे। इनमें 30 से अधिक मुख्यमंत्री सचिवालय,
आईएएस संबंधी 19, भारतीय वन सेवा से
संबंधित 13, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस)
संबंधी 7 मामले थे। एक बड़ा मामला
बुंदेलखंड में हीरों की खदान के लिए रियो
टिंटो को मिले लायसेंस को लेकर किया गया
आवेदन भी था। दरअसल रियो टिंटो एक
अन्तरराष्ट्रीय स्तर की हीरा खदान कंपनी
है। इसका मुख्यालय यूके में है। रियो टिंटो
पीएलसी लंदन और न्यूयार्क में जबकि रियो
टिंटों लिमिटेड आस्ट्रेलिया में पंजीकृत
है। इस कंपनी की अधिकांश संपत्तियां
आस्ट्रेलिया और अमेरिका में है। पन्ना
टाईगर रिजर्व और श्यामरी नदी पर बने वाटर
शेड को बचाने की कवायद भी शेहला कर रही
थीं। यहीं पर रियो टिंटो द्वारा अवैध खनन
का कारोबार चल रहा था। छतरपुर में रियो
टिंटो द्वारा संचालित हीरा खनन पर की गई
आपत्तियां भी कंपनी के लिए नुकसानदेह हो
सकती थीं। जाहिर तौर पर इस कंपनी द्वारा
अवैध खनन की कार्यवाही की जा रही थी। शेहला
मध्यप्रदेश सरकार को इन मामलों की जांच के
लिए मजबूर कर रही थीं। रियो टिंटो का खनन
कारोबार मध्यप्रदेश सहित देशभर में तकरीबन
40 हजार किमी क्षेत्र में फैला है।
गौरतलब है कि शेहला मसूद को एक महतकांक्षी
महिला के रूप में जाना जाता था। वे अपनी
महत्त्वाकांक्षाओं के लिए किसी से
संपर्क-संबंध बनाने और उसका उपयोग करने
में कभी हिचकती नहीं थी। शेहला के पिता
मसूद सुल्तान शिक्षा विभाग में रहे। मां
की काफी पहले ही मौत हो गई थी। छोटी बहन
आयशा शादी के बाद अमेरिका में ही रहती है।
शेहला अविवाहित थीं। सेंट जोसेफ कॉवेंट
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद शेहला ने
बीएसएस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। दिल्ली
से मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई भी पूरी करने
के बाद सन् 2000 से इवेंट मैंनेजमेंट का
काम शुरु कर दिया। शेहला, मिरेकल कंपनी के
डायरेक्टर के तौर पर इवेंट मैंनेजमेंट और
उदय संस्था के सचिव के रूप में विभिन्न
मुद्दों पर आरटीआई और भ्रष्टाचार के खिलाफ
आंदोलन का काम करती रही थी। इस दरम्यान
शेहला ने अपने दोस्तों के साथ दुश्मनों की
संख्या में भी इजाफा किया। जानकारों के
मुताबिक शेहला अन्ना हजारे की ही तरह
मध्यप्रदेश में अफसरों, खदान माफिया और
सरकार के मंत्रियों के खिलाफ आंदोलन का
ताना-बाना बुन रही थी। हालांकि शेहला का
विवादों से पुराना नाता था। कभी इवेंट को
लेकर तो कभी प्रतिभागियों और पुरस्कारों
को लेकर। आरटीआई के कारण इन विवादों में
भी काफी इजाफा भी हुआ। पत्रकारों,
राजनेताओं, व्यवसायियों और अधिकारियों से
संबंधों के कारण शेहला हमेशा चर्चा में रहीं।
शेहला उन्मुक्त और स्वतंत्र विचारों की
महिला थीं। विरोध करना और विरोध झेलना उनकी
फितरत थी, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था
कि कभी कोई मामला ऐसा हो जायेगा कि कोई
शेहला की जान ले लेगा।
शेहला की जिंदगी में आरटीआई का जितना दखल
था उतना ही राजनीति और ग्लैमरस कार्यक्रमों
का भी। हत्या के कारणों का पता करते हुए
जाँच एजेंसियां इन सभी पहलुओं की तहकीकात
करेगी, लेकिन शेहला मसूद की कारपोरेट हत्या
की साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता।
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