लखनऊ।
भारतीय नव वर्ष विक्रमी संवत् 2073
की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की संध्या
पर राजधानी में सांस्कृतिक
कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नव
वर्ष चेतना समिति के तत्वावधान में
आयोजित सांस्कृतिक संध्या में
मुम्बई के सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ एवं
गायक प्रो. मदन दुबे राष्ट्रभक्ति
से ओतप्रोत गीत प्रस्तुत किये।
सांस्कृतिक संध्या में राज्यपाल राम
नाईक मुख्य अतिथि थे। 'इण्डिया से
भारत की ओर' थीम पर आधारित
कार्यक्रम की अध्यक्षता महापौर डा.
दिनेश शर्मा ने की। गोमती नगर स्थित
संगीत नाट्य अकादमी परिसर में संत
गाड़गे प्रेक्षागृह में आयोजित
समारोह का उद्घाटन करते हुए
राज्यपाल नाईक ने कहा कि वंदेमातरम्
गायन और भारत माता की जय बोलने पर
हुआ विवाद पीड़ादायक है। वंदेमातरम्
को राष्ट्रगान के रूप में भारत में
उसी प्रकार मान्यता है जिस प्रकार
राष्ट्रगीत को है। उन्होंने कहा कि
संविधान सभा ने राष्ट्रगीत और
राष्ट्रगान दोनों को समान रूप से
मान्यता प्रदान की थी। फिर
वन्देमातरम् बोलने पर विवाद क्यों
किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि
कोयल जब बोलती है तो सभी उसकी आवाज
को प्यार से सुनते हैं, जबकि की
प्रजाति का कौआ बोलता हो कोई ध्यान
नहीं देता। उन्होंने राष्ट्रगान का
विरोध करने वालों को कांव-कांव करने
वाला बताया।
वर्ष प्रतिपदा राष्ट्र गौरव का दिवस
मुख्य अतिथि के रूप में विचार
व्यक्त करते हुए राज्यपाल राम नाईक
ने कहा कि वर्ष प्रतिपदा का दिन
राष्ट्रीय गौरव का दिन है। इस दिन
का अत्यधिक महत्व है। हमारे इतिहास
में वर्ष प्रतिपदा को अनेक
महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। उन्होंने
कहा कि भारत में विविधता में एकता
है। हमारे देश में अनेक भाषाएं,
अनेक वेशभूषा हैं फिर भी हम एक हैं।
भारत विश्व का सबसे बड़ा जनतांत्रिक
देश है। नाईक ने कहा कि हमारा देश युवाओं का
देश है। युवाओं की शक्ति को पहचान
कर हमें देश को आगे बढ़ाना है।
हमारे युवा कैसे हों हमें इस पर
विचार करना है। उन्होंने कहा कि युवाओं को सही दिशा
मिले इसके लिए प्रयत्नशील रहना है।
युवाओं को योग्य विचार और योग्य दिशा
देने की जरुरत है। हमें इस पूंजी को
सही मार्गदशन देने का संकल्प करना
चाहिए। समारोह की अध्यक्षता कर रहे महापौर
डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि हमारी
संस्कृति की विशेषता है कि वह विश्व
के कल्याण की बात करती है। हमारी
संस्कृति अपने लिए नहीं दूसरों के
लिए कार्य करने की संस्कृति है।
भूत के साथ वर्तमान पर विचार करें
राज्यपाल ने कहा कि देश को आगे
बढ़ाने के लिए सोच में परिवर्तन होते
रहना चाहिए। भूत के साथ वर्तमान पर
विचार करें तो सहजता से आगे क्या
करना है, हम सोच सकते हैं। हमें यह
भी विचार करना है कि हमारा देश आज
कहाँ खड़ा है तो देश प्रगति कर सकता
है। ऐसी जीवनशैली का उपयोग करें जो
मन को शांति दे। आज विश्व स्वास्थ
दिवस भी है। उसका उल्लेख करते हुए
उन्होंने कहा कि बदलती जीवनशैली के
कारण स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा
है। योग, व्यायाम एवं सूर्य नमस्कार
से स्वस्थ जीवन जीया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मन को शांति अच्छे
कार्य एवं आचरण से मिलती है।
स्वयं के साथ दूसरों को भी समझें
विशिष्ट अतिथि ब्रह्मचारी कौशिक
चैतन्य महाराज ने कहा कि हमें स्वयं
के साथ-साथ दूसरों को भी समझना है।
उन्होंने कहा कि लक्ष्य निर्धारित
किये बगैर कोई भी अच्छा कार्य नहीं
होता है। इसके अलावा इंजीनियर महेश
गोयल, गौरी शंकर, डा. गिरीश गुप्ता,
सुनील अग्रवाल ने भी विचार व्यक्त
किये। समारोह में नव वर्ष चेतना
समिति द्वारा इस मौके पर प्रकाशित
स्मारिका " नव चैतन्य" का विमोचन
राज्यपाल राम नाईक ने किया। संचालन
अजय सक्सेना ने किया। कार्यक्रम में
नव वर्ष चेतना समिति के पदाधिकारी
एल पी मिश्र,सुधीर हलवासिया, डा.
बीना बंसल, डा. रंजना द्विवेदी, अभय
सेठ,गिरीश चन्द्र सिन्हा, पुनीता
अवस्थी, विवेक मिश्र, ओम प्रकाश
पाण्डेय, इंजीनियर अशोक सिंह, अरुण
कुमार मिश्र एवं मनौज मौन समेत भारी
संख्या में नगर के गणमान्य नागरिक
मौजूद थे।
प्रो. मदन दुवे के गीतों से सजी
संध्या
नव वर्ष समारोह के लिए मुम्बई से आये
मदन दुवे और उनकी टीम ने भारत माता
की आरती - " भाग्य विधाता की आरती
भारत माता की" से सांस्कृतिक संध्या
की शुरुआत की। भारत माता की आरती को
श्रोताओं ने सराहा। इसके उन्होंने
अन्य कई गीत-" जिस घर में मिट्टी
मुल्तानी, जिस घर मे मटके का पानी...",
" जहां पेड़ पेड़ पर सोने की चिड़ियां
करतीं वसेरा..." प्रस्तुत किये। इस
मौके पर मदन दुवे ने प्राचीन
शास्त्रों से चयनित स्वास्थ्य संबंधी
सूत्रों को गायन में लयबद्ध करके
तैयार की गई सीडी का विमोचन भी
राज्यपाल राम नाईक से कराया। समारोह
के अन्त में आयोजकों ने मुम्बई के
कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर
सम्मानित किया।