देहरादून।
राजनीति कैसे, किसकी मति भ्रम कर दे -
इसका ताज़ा उदाहरण बाबा रामदेव बने हैं।
योग गुरु की पदवी, पावर और माया के आगे
छोटी लगने लगी। राजनेताओं की संगत ने बाबा
को कहीं का न छौड़ा। कमल खिलाने निकले बाबा
रामदेव राजनीति के कीचड़ मे अपनी गरिमा तार
- तार कर बैठे।
माया
और मोदी के फेर मे जुबान फिसलने लगी -
सारा फोकस शादी और हनीमून हो गया। योग
और बालकृष्ण की चिंता भूलकर राहुल की
गृहस्थी मे उलझ गये। देवभूमि
उत्तराखंड मे रामदेव का योग के अलावा
अरबो का क़ारोबार है। हर टीवी चैनल पर
बाबा के विज्ञापन यही सन्देश देते हैं
कि अब बाबा ने कार्पोरेट चोला धारण कर
लिया है। सत्ता
और माया के लिये बाबा की लालसा थमने का
नाम नही ले रही। बाबा रामदेव अपने
शिष्यों को छोड़कर जब लेडीज सलवार - कमीज़
में जान बचाकर भागे तो सारे भारत ने उनकी
कायरता से नफ़रत की थी। कभी
लगता है - उत्तराखंड में बीजेपी सरकार
से लाभ लेकर मोदी का गुणगान करना बाबा
की मजबूरी है।
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