लखनऊ।
अन्तरराष्ट्रीय डी.एन.ए. दिवस के अवसर पर विज्ञान
एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा आयोजित वैज्ञानिक
व्याख्यान कार्यक्रम के दौरान लखनऊ के तमाम विद्यालयों
से आये विद्यार्थि या और उनके शिक्षकों ने जाना कि
हमारा डी.एन.ए. ही भविष्य का आधार कार्ड बनेगा। इतना ही
नही हर इंसान के दिमाग की निष्पक्षता को और ज्यादा कारगर
बनाने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिका ेण का वातावरण अपने
परिवार और समाज में बढ़ाना होगा क्योंकि जीवन जगत की हर
विशिष्ट पहचान का अमिट मूल
आधार डी.एन.ए. ही है।
विज्ञान भवन के सर सी.वी. रमन प्रेक्षागृह में आयोजित
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विज्ञान एवं प्रा ैद्योगिकी
विभाग, उ0प्र0 की विशेष सचिव, सुश्री मिनिस्ती एस.नायर
ने कहा कि डी.एन.ए. डे केवल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का
मात्र घोषित दिवस नही है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण का े
बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हम सभी को ज्ञात
से अज्ञात विज्ञान का े जानने, पहचानने आ ैर उसका े
अपनाने के लिए सूक्ष्म से विराट नयी सोच आ ैर
कार्य-व्यवहार का े जगाता है। अपने सम्बोधन में यह भी बल
देते हुए कहा कि वैज्ञानिक शा ेधों कार्या ें में यदि
बहुत पहले महिलाओं को आग े बढ़ने का मा ैका मिलता तो
निश्चित रूप से आज की दुनिया का विज्ञान अपने चरम
उत्कर्ष पर निश्चित रूप से दिखाई देता। सुश्री मिनिस्ती
एस. नायर ने तमाम विश्व
प्रसिद्व प्राचीन भारतीय वैज्ञानिका ें तथा ऋषिया ें व
ज्ञानियों की आ ेर बच्चों का ध्यान केन्द्रित करते हुए
कहा कि वैज्ञानिक जिज्ञासा से ही बेहतर भविष्य का
निर्माण करने में पूरी निष्पक्षता आ ैर खुले दिमाग से
काम करने की जरूरत है। प्रोफेसर (डा ॅ0) अब्बास ए. मेंहदी
कुलपति, ऐरा मेडिकल विश्व विद्यालय, लखनऊ ने अपने मुख्य
वैज्ञानिक व्याख्यान में जानकारी दी कि डी.एन.ए. ही
भविष्य का आधार कार्ड बनेगा जीव जगत में जीवन की उत्पत्ति
से लेकर मृत्यु तक डी.एन.ए. के निर्मा ण, उसकी अलग-अलग भ
ूमिकाओं पर किये गये शोध अध्ययना ें और परिणामा ें पर
विस्तार से प्रकाश डाला। प्रो0 मेंहदी ने बताया कि
डी.एन.ए. के बारें में अभी भी पूरी जानकारी ज्ञात नही
है। जिस दिन जटिल बीमारिया ें का अन्त आ ैर मृत्यु पर
विजय की वैज्ञानिक जानकारी हासिल हा े जायेगी तब जीवन
विज्ञान में इसका अध्याय पूर्ण हो जायेगा। प्रा े0 मेंहदी
ने ध्यान केन्द्रित कराया कि दैनिक खान-पान आ ैर जीवन
में शैली में बहुत ही संतुलन की जरूरत है क्यांेकि का ेशिकाआ
ें से बने ऊतका ें में असंतुलित डी.एन.ए. के बन जाने स े
आध ुनिक चिकित्सा ही नही प्राकृतिक चिकित्सा आदि का
ज्यादातर प्रभाव खत्म हो जाता है।
भारत के प्रसिद्ध सांइसटून वैज्ञानिक पी0के0 श्रीवास्तव
ने विज्ञान कार्ट ून्स के माध्यम से बताया कि भारत में
4365 प्रकार के मनुष्य उपलब्ध हैं। डा ॅ0 श्रीवास्तव ने
जंगली जीवा ें की जनसंख्या की गणना से लेकर अपराध
विज्ञान आदि तक में डी.एन.ए. की विभिन्न रासायनिक प्रकृति
आ ैर परिवर्तन की जैविक भूमिका पर विस्तार से जानकारी
दी। प्रतिभागी सभी बच्चा ें को प्रमाण-पत्र के साथ
रजिस्टर व पेन के साथ स्कूल बैग वितरित किया गया आ ैर
इन्दिरा गाॅधी नक्षत्रशाला में निःशुल्क खगोल विज्ञान शो
को भी दिखाया गया । लखनऊ के विभिन्न वैज्ञानिक तथा
शिक्षण संस्थानों से आये तमाम अतिथिया ें व स्कूल-कालेजा
ें के प्रतिभागी विद्यार्थि यों का स्वागत आ ैर
कार्यक्रम का संचालन परिषद की संयुक्त निदेशक, डा ॅ0 हुमा
मुस्तफा ने किया आ ैर अन्त में श्री आई.डी.राम, सचिव,
विज्ञान प्रौद्या ेगिकी परिषद, उ0प्र0, लखनऊ नेधन्यवाद
ज्ञापित किया।