विवेक
त्रिपाठी
फतेहपुर/लखनऊ
01
अप्रैल।
भारतीय
जनता
पार्टी
ने
फतेहपुर
लोकसभा
से
तमाम
स्थानीय
नेताओं
को
नकारते
हुए
हमीरपुर
विधानसभा
से
पहली
पर
निर्वाचित
हुई
साध्वी
निरंजन
ज्योति
को
टिकट
देकर
संसद
भवन
पहुंचाने
की
ठानी
है।
लेकिन
उनकी
राह
असान
नहीं
दिख
रही
है।
स्थानीय
नेताओं
की
अंदरूनी
कलह
और
जतीय
समीकरण
ने
मुकाबले
को
कड़ा
कर
दिया
है।
अगर
पिछले
आंकड़ो
को
देखा
जाए
तो
2004
में
बसपा
प्रत्याशी
महेन्द्र
निषाद
को
एक
लाख
63
हजार
वोट
मिले
जबकि
सपा
के
प्रत्याशी
रहे
अचल
सिंह
को
एक
लाख
दस
हजार
मत
मिले
और
वह
दूसरे
स्थान
पर
रहे।
भारतीय
जनता
पार्टी
के
उम्मीदवार
आशोक
पटेल
को
एक
लाख
एक
हजार
वोट
पाकर
तीसरे
पायदान
पर
पहंुच
गये।
2009
में
घटमपुर
लोकसभा
समाप्त
होने
पर
राकेश
सचान
को
सपा
ने
अपना
प्रत्याशी
बनाया
जिन्हें
दो
लाख
18
हजार
593
वोट
मिले
और
विजयी
हुए।
दूसरे
स्थान
पर
बसपा
के
महेन्द्र
निषाद
को
एक
लाख
66
हजार
मत
प्राप्त
कर
दूसरे
स्थान
पर
पहुंचे।
वहीं
भाजपा
प्रत्याशी
राधेश्याम
गुप्ता
एक
लाख
पन्द्रह
हजार
वोट
पाकर
तीसरे
स्थान
पर,
जबकि
कांग्रेस
प्रत्याशी
विभाकर
शास्त्री
को
एक
लाख
एक
हजार
वोट
पाकर
चैथे
स्थान
पर
रहे।
पूर्व
प्रधानमंत्री
वीपी
सिंह
के
पुत्र
अजेय
सिंह
मात्र
सात
हजार
वोटों
से
संतोष
करना
पड़ा।
जबकि
अपना
राष्ट्रीय
अध्यक्ष
को
महज
दस
हजार
वोटों
से
संतोष
करना
पड़ा
था।
पिछले
दो
बार
की
लोकसभा
का
कार्यकाल
देखा
जाए
तो
वहां
कमल
खिलने
में
काफी
मुश्किलों
का
समाना
करना
पड़ा
है।
दो
बार
तो
लगातार
आशोक
पटेल
को
संसद
चुनकर
जनता
ने
दिल्ली
भेजा
।
पिछले
चुनाव
में
भाजपा
प्रत्याशी
की
जमानत
जब्त
होने
के
बाद
इस
बार
पार्टी
ने
पिछड़े
वर्ग
पर
ध्यान
केंद्रित
किया
और
वहां
से
प्रत्याशी
बनया
गया
है।
अगर
जतीय
समीकरण
में
जाते
हैं
तो
पूरे
लोकसभा
में
साढे
चार
लाख
दलित
और
एक
लाख
65
हजार
मुस्लिम
मतदाता,
ब्राम्हण
एक
लाख
90
हजार,
क्षत्रिय
एक
लाख
60
हजार,
कुर्मी
सवा
दो
लाख,
निषाद
60
से
70
हजार
है।
यही
पूरे
उम्मीदवारों
के
दरोमदार
को
तय
करेगा।
मौजूदा
सांसद
राकेश
सचान,
बसपा
प्रत्याशी
अफजल
सिद्दीकी
और
निरंजन
ज्योति
गैर
जनपद
से
ताल्लुक
रखते
हैं।
भाजपा,
बसपा
और
सपा
की
ओर
से
बाहरी
प्रत्याशियों
को
प्रमुखता
दी
गई
है।
एक
मात्र
कांग्रेस
ने
जिले
की
रहने
वाली
उषा
मौर्य
को
मौका
दिया
है।
अगर
कांग्रेस
का
स्तर
देखे
तो
कुछ
ज्यादा
बेहतर
नहीं
रहा
है।
सन्
1980, 1984, 1989
और
1991
के
चुनाव
में
हरी
कृष्ण
शास्त्री
प्रत्याशी
बनते
रहे,
जो
अंतिम
दो
चुनावों
में
जमानत
तक
नहीं
बचा
सके।
यह
भी
महत्वपूर्ण
है
कि
जनपद
की
संसदीय
राजनीति
में
कांग्रेस
पहली
पार्टी
है
जिसने
महिला
को
टिकट
दिया।
यह
अलग
बात
है
कि
भाजपा
ने
भी
साध्वी
निरंजन
ज्योति
के
रूप
में
पिछड़े
वर्ग
की
महिला
को
प्रत्याशी
बनाया
है।
अब
इसका
लाभ
किस
पार्टी
को
मिलेगा
यह
अभी
भविष्य
के
गर्त
में
है।
इस
बारें
में
वरिष्ठ
राजनीतिक
विश्लेषक
और
पत्रकार
गोविन्द
दुबे
का
कहना
है
कि
इस
लोकसभा
में
यहां
त्रिकोणीय
मुकाबले
की
संभवानाएं
बनाए
बन
रही
है।
अगर
सपा
को
देखे
तो
कुर्मी
एक
भी
प्रत्याशी
न
होने
कारण
उन्हें
उसका
लाभ
मिलेगा।
लेकिन
मुस्लिम
वोट
उन्हे
पूरा
नहीं
मिल
पाएगा
चूंकी
बसपा
ने
नसीमुद्दीन
के
पुत्र
अफजल
सिद्दीकी
पर
दांव
लगाया
जिससे
लगभग
80
प्रतिशत
लोग
उसी
पाले
में
जा
सकते
है।
पासवान
बिरादरी
का
वोट
जरूरी
भाजपा
के
खाते
में
जाता
दिख
रहा
है।
लेकिन
पूरा
दरोमदार
सर्वण
वोट
बैंक
ही
तय
करेगें
क्योंकि
उन्ही
के
झुकाव
में
पूरा
दरोमदार
तय
होता
दिख
रहा
है।
अभी
तक
सारे
प्रत्याशियों
के
अपने
को
अपने
-अपने
जतीय
आधार
पर
लगभग
बराबर
पायदान
के
वोट
मिलते
दिख
रहें
है।
इस
बारे
में
खागा
विधानसभा
से
विधायक
कृष्णा
पसवान
ने
बताया
कि
सारे
कार्यकर्ता
दृढ़ता
पूर्वक
लगे
पहले
कुछ
कार्यकर्ताओं
ने
विरोध
किया
था
लेकिन
बाद
में
मोदी
को
प्रधानमंत्री
बनाने
के
लिए
पूरी
मेहनत
से
लगे
है।
फतेहपुर
लोकसभा
प्रत्याशी
निरंजन
ज्योति
का
कहना
है
कि
कार्यकर्ता
पूरे
मन
से
मेरे
साथ
लगे
हैं।
लगभग
सारी
विधानसभाओं
का
भ्रमण
हो
चुका
प्रचार
तेज
है
घर-घर
जा
रहीं
हूं।
पिछले
कार्यों
की
समीक्षा
जनता
कर
रही
है।
उसका
जवाब
भी
देगी।
मुझे
पूरा
विश्वास
की
यहां
के
लोग
मुझे
प्यार
बहुत
करते
है।
रिकार्ड
मतो
से
जिताकर
मोदी
को
प्रधानमंत्री
बनाने
में
सहयोग
करेगें।
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