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सम्पादकीय |
घटिया मानसिकता: सुरक्षा पर सियासत |
सर्वेश कुमार सिंह-Sarvesh
Kumar Singh |
Publised
on :
18.02.2017 Time 11:10 |
tags:
Indian Army, General Vipin Rawat, Jammu and Kashmir
|
देश
की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रुप में
ख्याति रखनी वाली भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस का इतिहास देश के स्वतंत्रता
संग्राम से जुड़ा रहा है। इस पार्टी ने देश
में लगभग छह दशक तक शासन भी किया है।
किन्तु अब इसके उत्तराधिकारी और कर्ताधर्ता
राष्ट्रविरोधी मानसिकता का प्रदर्शन करके
कांग्रेस के इतिहास को कलंकित कर रहे हैं।
इनके बयानों और राजनीतिक सोच से देश की
सुरक्षा व्यवस्था की चिंता करने वाली सेना
का मनोबल गिर रहा है। राजनीतिक लाभ के लिए
कांग्रेसी नेता यह भी नहीं देख रहे हैं कि
इससे राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
सेना का मनोबल गिराने वाला बयान कांग्रेस
महासचिव गुलाम नबी आजाद ने दिया है।
उन्होंने कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकवादियों
और अलगवालियों से लड़ रही सेना के प्रमुख
जनरल विपिन रावत के बयान की आलोचना की है।
जनरल रावत ने 15 फरवरी को श्रीनगर में कहा
था कि सैन्य अभियानों का विरोध करने या
उनमें बाधा पहुंचाने वालों से सख्ती से
निपटा जाएगा। उनके द्वारा पाकिस्तान का
ध्वज लहराने या सेना पर पत्थरबाजी करने
वालों को अलगाववादी मानकर कार्रवाई की
जाएगी। इसके साथ ही सेना प्रमुख ने यह भी
स्पष्ट कर दिया कि जो लोग जम्मू-कश्मीर
में अलगाववादियों का समर्थन करते हैं उनके
साथ कोई सहानुभूति नहीं दिखायी जाएगी। सेना
प्रमुख के इसी बयान पर कांग्रेस महासचिव
आजाद ने प्रतिक्रिया दी है। जबकि यह
सर्वविदित हो चुका है कि जम्मू-कश्मीर के
अन्दर ही ऐसे तत्व विद्यमान हैं जोकि
पाकिस्तान और आतंकवाािदयों के हमदर्द और
मददगार हैं। ये घुसपैठियों और आतंकवादियों
को मदद पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं सैन्य
अभियानों के दौरान सेना के सामने बाधाएं
खड़ी करते हैं। इससे सेना को अभियान संचालन
में दिक्कत होती है तथा क्षति उठानी पड़
जाती है। लेकिन अब सेना ने कड़ा फैसला ले
लिया है। सैन्य अभियानों के दौरान यदि कोई
पत्थरबाजी करेगा, सेना के बीच में आएगा या
अलगाववादियों को छिपाने की कोशिश करेगा तो
सेना उससे दुश्मन जैसा व्यवहार करेगी। देश
की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए
ऐसे ही फैसले की जरूरत थी। जनरल विपिन
रावत ने कड़ा रुख अपना कर सही फैसला किया
है। इस फैसले के साथ देश खड़ा है किन्तु
कुछ लोग जो सुरक्षा में भी सियासत कर लेते
हैं, वह इसका विरोध कर रहे हैं। दरअसल इस
समय उत्तर प्रदेश में विधान सभा के चुनाव
चल रहे हैं। भाजपा के अलावा सभी राजनीतिक
दल मुसलमानों के वोटों की खातिर कुछ भी
करने को तैयार हैं। यूपी में कांग्रेस ने
सपा के साथ गठबंधन किया है। उसकी भरपूर
कोशिश है कि उसे मुसलमान वोट मिल जाएं।
इसीलिए गुलाम नबी आजाद ने सेना प्रमुख के
बयान पर राजनीति कर दी। जबकि सेना प्रमुख
ने उन तत्वों को चेतावनी दी है जोकि मुखौटे
के पीछे से पाकिस्तान से हमदर्दी जता रहे
हैं।
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