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सम्पादकीय

काले धन पर निर्णायक वार  

सर्वेश कुमार सिंह

Publised on : 22 November 2016 Time: 10:17   Tags: Editorial, Black Money. Facke currency, Sarvesh Kumar Singh

काले धन और नकली नोटों के के कारोबार पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निर्णायक वार किया है। उनके इस फैसले से देश को ‘आर्थिक सुरक्षा कवच’ मिलेगा। यह अकल्पनीय है, साहसिक है और दूरगामी परिणामदायक है। इसने न केवल हमारे आर्थिक सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई है। आठ नवम्बर को लिये गए इस फैसले से जहां भ्रष्ट, कालेधन को संग्रह करने वाले असामाजिक तत्व और अवैध नोटों के संचालन का तंत्र चला रहे राष्ट्र विरोधियों के हौसले पस्त हो गए हैं, वहीं आम नागरिक ने राहत की सांस ली है। चारों ओर भारत सरकार के इस फैसले को समर्थन मिल रहा है। आज हर व्यक्ति की जुबान पर इस फैसले की वाह-वाही के शब्द हैं। कौन नहीं जानता कि देश में पाकिस्तान ने भारी संख्या में नकली नोट खपाकर सुरक्षा तंत्र में सेंध लगायी थी। पूर्ववर्ती सरकारें जानते हुए भी इस पर कोई निर्णायक फैसला लेने से हिचक रही थीं। पाकिस्तान की खुफिया एंजेसी ‘आईएसआई’ नोट छापने की आधुनिक मसीन लगाकर नकली करेंसी तैयार कर रही थी। कई लाख करोड़ की नकली मुद्रा भारत में चलन में आ चुकी थी, और नई खेप के रूप में नकली करेंसी बार्डर पर पहुंचा दी गई थी। इस नकली करेंसी ने देश में असली करेंसी धारकों की समस्याओं को बढाÞ दिया था। अवैध करोबार हो रहे थे, महंगाई बढ़ रही थी, असामाजिक और राष्ट्र विरोधी कार्यों में नकली करेंसी का इस्तेमाल किया जा रहा था। मोदी सरकार के एक ही फैसले से ये सभी षड़यन्त्र और षड़यन्त्रकारी धराशायी हो गए हैं। वहीं भ्रष्ट नेताओं,नौकरशाही और ठेकेदारों के गठजोड़ ने आम आदमी की आर्थिक आजादी को ही बंधक बना लिया था। सारा धन काली कमाई के रूप में इनकी तिजौरियों में इकट्टा हो चुका था। यह धन प्रचलन में नहीं होने और कुछ लोगों की धनाढ्यता से आम आदमी की खरीददारी की क्षमता ही समाप्त हो गई थी। कालेधन और नकली करेंसी का पूरा कारोबार एक हजार और पांच सौ के नोटों में किया जाता था। ये नोट कुल प्रचलित मुद्रा के 83 प्रतिशत हैं। देश में नोटबंदी के समय 16 लाख 66 हजार करोड़ रुपये की मुद्रा प्रचलन में थी। इसमें से करीब तीन लाख करोड़ रुपया कालेधन के रूप में लोगों ने बड़े नोटों के रूप में जमा कर लिया था। इसके अलावा कई लाख करोड़ रुपये की नकली मुद्रा देश में प्रचलन में आ चुकी थी। इसलिए इन नोटों को बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। सरकार यदि इस फैसले को लेने में और विलम्ब करती तो कुछ महीने में ही भ्रारतीय अर्थव्यवस्था कालेधन, नकली करेंसी से धराशायी हो सकती थी। सरकार के फैसले से जहां कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों में कमी आयी है, वहीं पूर्वोत्तर राज्यों के अलगाववादी शांत हो गए हैं। माओवादी उग्रवादियों के भी हौसले पस्त हैं, जाहिर है कि इन्हें विदेशों से नकली करेंसी के रूप में भारी संख्या में नकदी मिलती थी। भारत में धन स्थानान्तरण के लिए ‘हवाला’ के रूप में समानान्तर व्यवस्था चलती थी। यह व्यवस्था बैंकिंग सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही थी और कर चोरी का सबसे बड़ा माध्यम बन गई थी। हवाला तंत्र में अन्तरराष्ट्रीय माफिया, ड्रग तस्कर, आतंकवादी और भ्रष्ट लोग जुड़े थे। इस तंत्र को भी मोदी के एक ही वार ने समाप्त कर दिया है। नोटबंदी और नई करेंसी को प्रचलन में लाने के बीच हमारे बैंकिंग सिस्टम पर अतिरिक्त भार पड़ा है। इससे कुछ कठिनाइयां भी होना स्वाभाविक है। लेकिन कुछ ही समय में कठिनाइयों से मुक्ति मिल जाएगी और आम भरतीय नागरिक भ्रष्टाचार मुक्त अर्थव्यवस्था में स्वयं को सुरक्षित और सुखी अनुभव करेगा।

सर्वेश कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
मोबाइल: 9453272129 , व्हॉट्सएप: 9455018400 ,
 

Sarvesh Kumar Singh

Sarvesh Kumar Singh

Freelance Journalist

News source: U.P.Samachar Sewa

News & Article:  Comments on this upsamacharsewa@gmail.com  

 
 
 
                               
 
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